यूपी में बीजेपी को रुझानों में प्रचंड बहुमत मिलता देख अब ये सवाल उठना शुरू हो गया है कि बीजेपी उत्तर प्रदेश में सीएम पद की जिम्मेदारी किसे सौंपेगी। बीजेपी ने चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के लिए किसी उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं किया था ताकि पार्टी में किसी तरह का विरोध, बगावत या फिर भीतरघात पैदा ना हो। बीजेपी का ये फार्मूला काम करता भी दिख रहा है। बीजेपी उत्तर प्रदेश में व्यापक बहुमत के साथ सरकार बनाती दिख रही है। ऐसे में बीजेपी सत्ता के शिखर बिठाकर किसका राजतिलक करेगी, ये जानना जरुरी है। बीजेपी की ओर से सीएम रेस में कई नाम चल रहे हैं। इनमें यूपी बीजेपी अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य, रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, पूर्वांचल के कद्दावर नेता कट्टर हिन्दू की छवि रखने वाले योगी आदित्यनाथ, केन्द्रीय मंत्री उमा भारती का नाम शामिल है। (चुनाव नतीजों का LIVE UPDATE पढ़ें)

केशव प्रसाद मौर्य : चुनाव से ठीक पहले यूपी में बीजेपी की कमान संभालने वाले केशव प्रसाद मौर्य साफ सुथरी छवि वाले नेता हैं। और ओबीसी बिरादरी से आते हैं, केशव मौर्य बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता हैं और संघ से भी उनका जुड़ाव रहा है। अगर महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा में बीजेपी के सीएम चुनने के ट्रेंड पर नजर दौड़ाएं तो केशव प्रसाद मौर्य पार्टी नेतृत्व के सीएम पद की पसंद बन सकते हैं। लेकिन उनके प्रतिद्वन्दियों के मुकाबले सक्रिय राजनीति में उनका कम अनुभव सीएम पद की ताजपोशी में आड़े आ सकता है।

योगी आदित्यनाथ : कट्टर हिन्दूवादी छवि, पूर्वांचल में बेहद मज़बूत पकड़ और सक्रिय राजनीति में लंबा अनुभव योगी आदित्यनाथ को यूपी के सीएम पद के लिए प्रबल दावेदार बनाता है। इस चुनाव में उन्होंने पूर्वांचल के साथ साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी जबर्दस्त प्रचार किया है। इस चुनाव में आदित्यनाथ ने जमकर मेहनत की और सबसे ज्यादा रैलियां करने वाले नेताओं में शुमार रहे। चुनाव से पहले भी आदित्यनाथ के समर्थकों ने सीएम पद के लिए उनका नाम उछाला है। लेकिन योगी आदित्यनाथ की विवादास्पद छवि सीएम बनने की उनकी राह में रोड़ा अटका सकता है।

मनोज सिन्हा : केन्द्र में रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा बीजेपी में सीएम पद के लिए सरप्राइज नाम के तौर पर उभर सकते हैं। बीजेपी सीएम पद के ऐलान में कई बार आश्चर्यजनक फैसले लेती रही है। इस लिहाज से मनोज सिन्हा डार्क होर्स साबित हो सकते हैं। पूर्वांचल से आने वाले मनोज सिन्हा ना सिर्फ राजनाथ सिंह के करीबी रहे हैं बल्कि पीएम मोदी भी उनके काम की तारीफ कर चुके हैं। लेकिन सीएम पद की कुर्सी पाने से पहले उन्हें RSS समेत कई समीकरणों को अपने पक्ष में साधना होगा। इसके अलावा पार्टी कार्यकर्ताओं की नयी फौज में भी उन्हें अपनी स्वीकार्यता बनानी होगी।

राजनाथ सिंह : उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे चुके केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह का नाम भी चुनाव के दौरान कई बार सीएम पद की कुर्सी के लिए उछला। दिल्ली के सियासी गलियारों में कई बार ये चर्चा सुनी जाती है कि पीएम मोदी और अमित शाह की जोड़ी केन्द्र में एकछत्र राज्य करने के लिए राजनाथ सिंह को उत्तर प्रदेश भेज सकते हैं। राजनाथ सिंह का संघ से भी अच्छा रिश्ता रहा है। और वे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं। हालांकि वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति और केन्द्र सरकार में उनकी नंबर-2 की पोजीशन को देखते हुए राजनाथ सिंह शायद ही राज्य की राजनीति में लौटना चाहेंगे।

उमा भारती : राम जन्मभूमि आंदोलन की बड़ी नेत्री, हिन्दूवादी छवि और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती सीएम पद की लंबी रेस में शामिल हैं। उमा भारती संघ नेतृत्व की भी पसंद रही हैं। लेकिन वर्तमान में केन्द्र में उनकी भूमिका को देखते हुए ये कहना आसान नहीं होगा कि उमा भारती को बीजेपी देश के सबसे बड़े राज्य का नेतृत्व सौंपने के लिए तैयार होगी। इसके अलावा उमा भारती की तुनकमिजाजी और बीजेपी के नये जेनरेशन के साथ उनका सामंजस्य भी अहम मुद्दा है, जिन्हें उमा को सत्ता सौंपने से पहले बीजेपी नेतृत्व ध्यान रखेगी।