कभी गांधी परिवार के काफी करीब माने जाने वाले कांग्रेस के सीनियर नेता आरपीएन सिंह हाथ का दामन छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं। हालांकि आरपीएन सिंह का महत्व आज की कांग्रेस में भी नहीं कमा था। सोमवार को ही उन्हें यूपी चुनाव के लिए स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल किया था। इसके अलावा इनके पास झारखंड कांग्रेस प्रभारी का पद भी था, लेकिन मंगलवार को एकदम से चौंकाने वाला फैसला लेते हुए उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। इनके इस्तीफे से राहुल-प्रियंका की जोड़ी को भी बड़ा झटका लगेगा, जिनके हाथ में आज कांग्रेस की कमान मानी जा रही है।

कौन हैं आरपीएन सिंह- आरपीएन सिंह यानि कुंवर रतनजीत प्रताप नारायण सिंह पडरौना के राजा साहब के नाम से जाने जाते हैं। इनका जन्म सैंथवार के शाही परिवार में 25 अप्रैल 1964 को हुआ था। उनके पिता स्वर्गीय कुंवर सी.पी.एन. सिंह कुशीनगर से सांसद थे। इसके साथ ही 1980 में इंदिरा गांधी की सरकार में वो रक्षा राज्य मंत्री भी थे।

राजनीति कैरियर- अपने पिता के नक्शे कदम पर ही चलते हुए आरपीएन सिंह पहले कांग्रेस से तीन बार विधायक बने, फिर एक बार सांसद रहे। पडरौना उनकी परंपरागत सीट रही है। आरपीएन सिंह 1996 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर यहां से विधायक बने। फिर 2002 और 2007 में भी उन्होंने अपनी जीत को बरकरार रखा। इसके बाद 2009 में कांग्रेस ने उन्हें कुशीनगर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा, 2009 में भी आरपीएन सिंह ने जीत का सिलसिला बरकरार रखा और पहली बार लोकसभा पहुंचे। तब यूपीए-2 की मनमोहन सिंह की सरकार में उन्हें मंत्री पद भी मिला था।

हालांकि 2014 से इनके हाथ से जीत फिसलने लगी। आरपीएन सिंह को 2014 में इसी सीट से भाजपा के उम्मीदवार राजेश पांडे ने हरा दिया। 2019 में भी उन्हें हार ही नसीब हुई। इसके बाद भी कांग्रेस में आरपीएन सिंह का रूतबा कम नहीं हुआ। AICC सेक्रेटरी के साथ-साथ छत्तीसगढ़ और झारखंड के कांग्रेस प्रभारी भी रहे। आरपीएन सिंह कांग्रेस और नेहरू-गांधी परिवार के चहेते बने रहे।

कहां से बिगड़ी बात- जानकारी के अनुसार वर्तमान चुनाव में आरपीएन सिंह का कद घटता महसूस हुआ। यूपी से आने वाले आरपीएन सिंह को कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई थी। कांग्रेस ने इन चुनावों में ज्यादातर नई टीमों के कंधों पर जिम्मेदारियां दी हुई हैं। यूपी में प्रियंका गांधी के हाथ में कमान है। हालांकि सोमवार को आई स्टार प्रचारकों की लिस्ट में आरपीएन सिंह का नाम था, लेकिन कहा जा रहा है कि उससे पहले ही वो बीजेपी के बड़े नेताओं के साथ मीटिंग कर चुके थे।

अब क्या है रणनीति- इस्तीफा देने के कुछ ही देर बाद आरपीएन सिंह बीजेपी में शामिल हो गए। बीजेपी उन्हें स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ मैदान में उतार सकती है, जिन्होंने कुछ दिन पहले ही बीजेपी छोड़ सपा का दामने थाम लिया था।