यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ एक और मिथक को तोड़ने जा रहे हैं। उन्होंने यूपी चुनाव 2022 में विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। सीएम योगी का यह फैसला बेहद अहम और लीक से हटकर इसलिए माना जा रहा है, क्योंकि उत्तर प्रदेश के पिछले तीन मुख्यमंत्रियों ने विधानसभा चुनाव लड़ा ही नहीं। 2007 में मायावती बिना चुनाव लड़े सीएम बनीं और बाद में विधान परिषद की सदस्य बनीं। इसी तरह 2012 में अखिलेश यादव ने भी बुआ को ही फॉलो किया। 2017 में प्रचंड बहुमत से जीतकर आए योगी आदित्यनाथ ने मायावती और अखिलेश यादव की तरह विधानसभा परिषद की ही सदस्यता ली। लेकिन इस बार सीएम योगी ने फैसला ले लिया है कि वह विधानसभा लड़ेंगे। सीएम योगी के इस ऐलान के साथ ही अब कयास लगाए जा रहे हैं कि वह गोरखपुर से चुनाव लड़ेंगे या अयोध्या से। चर्चा के केंद्र में मथुरा भी है। आइए जानते हैं क्या कहते हैं समीकरण और पार्टी के भीतर क्या सुगबुहाहट है।
पांच बार गोरखपुर से जीत चुके हैं योगी आदित्यनाथ
चुनाव लड़ने का ऐलान करते वक्त सीएम योगी से पूछा गया कि वह खुद कहां से चुनाव लड़ना पसंद करेंगे। इसके जवाब में सीएम योगी ने कहा, ‘मैं सभी 403 विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ रहा हूं और पार्टी जहां से कहेगी मैं चुनाव लड़ने के लिए तैयार हूं। योगी ने स्पष्ट किया कि वह चुनाव लड़ेंगे और पार्टी 300 से ज्यादा सीटें जीतेगी।’ योगी आदित्यनाथ पांच बार गोरखपुर से सांसद रह चुके हैं। 1998, 1999, 2004, 2009, 2014 में सीएम योगी लगातार पांच बार गोरखपुर सीट से जीते।
अवध से नए सियासी समीकरण की शुरुआत करेंगे?
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण चल रहा है। बीजेपी के लिए यह सबसे बड़ा मुद्दा रहा है। बरसों बाद बीजेपी के हिंदुत्व का ये टॉप एजेंडा साकार रूप ले रहा है। सीएम योगी ने सत्ता में आने के बाद अयोध्या की दीवाली को एकदम खास बना दिया है। अयोध्या इस समय न केवल देश में बल्कि विदेश में भी चर्चा के केंद्र में है।
अयोध्या से बीजेपी पूरे प्रदेश में हिंदुत्व का संदेश भेज सकती है और भगवाधारी सीएम योगी से बड़ा हिंदू आइकॉन और कौन हो सकता है। यूपी के पूर्वांचल को पहले से ही सीएम योगी का गढ़ माना जाता है। खुद पीएम मोदी भी बनारस में विकास कार्यों के साथ पूरे पूर्वांचल को साध रहे हैं। ऐसे में अवध क्षेत्र में बीजेपी का भगवा लहराने के लिए सीएम योगी को पार्टी आगे कर सकती है।
अवध क्षेत्र में 118 विधानसभा सीटें आती हैं। ऐसे में अगर पूर्वांचल और अवध पर बीजेपी कब्जा जमा लेती है तो वह आसानी बहुमत पा सकती है। किसान आंदोलन के चलते बीजेपी को पश्चिमी यूपी में नुकसान तय माना जा रहा है, ऐसे में अवध में सीएम योगी की मौजूदगी बीजेपी के पक्ष में हवा चला सकती है।
अवध क्षेत्र में योगी के उतरने से बज सकता है बीजेपी का डंका
एबीपी-सी वोटर के सर्वे के अनुमान के मुताबिक, अवध क्षेत्र में सबसे ज्यादा 43 प्रतिशत वोट शेयर बीजेपी के खाते में जाता दिख रहा है। अवध क्षेत्र में समाजवादी पार्टी को 31 प्रतिशत, बीएसपी को 10 प्रतिशत, कांग्रेस को 8 प्रतिशत, जबकि अन्य के खाते में 8 प्रतिशत वोट शेयर मिल सकता है। इस सर्वे को आधार मानें तो अगर यहां से योगी आदित्यनाथ उतरते हैं तो यहां पर बीजेपी का वोट शेयर भी बढ़ सकता है और सीटों कन्वर्जन भी बेहतर हो सकता है।
पूर्वांचल में इस बार भी बीजेपी को बढ़त की उम्मीद
यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में बीजेपी के अभूतपूर्व बहुमत मिला, जिसके बाद योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया। 2017 में पूर्वांचल में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला था, जो कि सीएम योगी के प्रभाव वाला क्षेत्र है। इस क्षेत्र में यूपी की 156 विधानसभा सीटें आती हैं। 2017 विधानसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो इस क्षेत्र में बीजेपी को 156 में से 106 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं, समाजवादी पार्टी को 18, बसपा को 12, अपना दल को 8, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) को 4, कांग्रेस को 4 और निषाद पार्टी को 1 सीट पर जीत मिली थी, जबकि 3 निर्दलीय भी इस क्षेत्र में जीतने में सफल रहे थे।
सर्वे में पूर्वांचल पर बीजेपी की पकड़ अब भी मजबूत
पूर्वांचल में बीजेपी को 41 प्रतिशत वोट मिलते दिख रहे हैं। सर्वे के मुताबिक, बीजेपी को इस रीजन में 41 फीसदी वोट शेयर मिलता दिख रहा है। समाजवादी पार्टी को 36 फीसदी वोट, बीएसपी को 12 फीसदी और बाकी वोट कांग्रेस और अन्य के खाते में जाता दिख रहा है।
पश्चिमी यूपी में भी आगे दिखाई दे रही बीजेपी
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बात करें तो बीजेपी को यहां 40 फीसदी वोट शेयर मिलता नजर आ रहा है. यहां पर समाजवादी पार्टी को 33 फीसदी वोट शेयर, बीएसपी को 15 प्रतिशत, कांग्रेस को 7 फीसदी और अन्य को 5 प्रतिशत वोट शेयर मिल सकता है। पश्चिमी यूपी किसान आंदोलन से प्रभावित क्षेत्र है, ऐसे में यहां पर इन आंकड़ों में बदलाव की भी पूरी संभावना है।