उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। हालांकि चुनाव कौन जीतेगा ये 10 मार्च को ही पता चलेगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विरोधी उनकी जाति को लेकर हमेशा उनपर निशाना साधते रहते हैं। कई बार उनके विरोधी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अजय सिंह बिष्ट के नाम से भी संबोधित करते हैं। बता दें कि संन्यास ग्रहण करने से पहले योगी आदित्यनाथ का नाम अजय सिंह बिष्ट था। UP Election 2022 को भी अगड़ा बनाम पिछड़ा बनाने की पूरी कोशिश हो रही है।

अमित शाह को पहले ही एहसास हो गया था कि उत्तर प्रदेश के चुनाव में बीजेपी के लिए असली बाधा पश्चिमी यूपी में किसानों का वोट नहीं बल्कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा बैकवर्ड बनाम फॉरवर्ड प्रचार की रणनीति है। अमित शाह को पता था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जाति के कारण कुछ वर्गों के साथ नुकसान है। वो नरेंद्र मोदी थे, शाह नहीं जिन्होंने योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश में बीजेपी का मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाया।

अमित शाह ने सुनिश्चित किया कि ओबीसी समुदाय के लोगों को प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। केशव मौर्य और अनुप्रिया पटेल जैसे नेताओं को चुनावी अभियान में चेहरा बनाया जाए। इसके बाद शाह ने प्रदेश का दौरा भी शुरू किया। बता दें कि बीजेपी का अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल सोनेलाल के साथ गठबंधन भी है और पिछली बार से अधिक सीटें बीजेपी ने अनुप्रिया पटेल की पार्टी को दी है।

जनवरी की शुरुआत में स्वामी प्रसाद मौर्य और कुछ अन्य अन्य ओबीसी नेताओं के पार्टी छोड़ने के बाद अमित शाह ने यूपी चुनाव अभियान का प्रभार लेने के लिए अपने कदम आगे बढ़ाएं। योगी आदित्यनाथ के गृह क्षेत्र गोरखपुर के बाहर अमित शाह ने ही उम्मीदवारों के चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 7 चरणों में होंगे। 10 फरवरी को पहले चरण के लिए वोट डाले जा चुके हैं, जबकि दूसरे चरण के लिए 14 फरवरी को वोट डाले जाएंगे। उत्तर प्रदेश में 7 मार्च को आखिरी और सातवें चरण के लिए वोटिंग है जबकि 10 मार्च को नतीजे आएंगे।