उत्तर प्रदेश में सियासी रूप से दबंग और बाहुबली नेता के रूप में जाने जाने वाले रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और उनका कुंडा विधानसभा क्षेत्र इस बार खास बात के लिए चर्चा में है। दरअसल कुंडा विधानसभा क्षेत्र में राजा भैया के दबदबे की वजह से वहां दूसरा कोई नेता न तो जीत पाता है और न ही उनको चुनौती दे पाता है। पिछले तीस वर्षों से राजा भैया की सियासी पकड़ वहां मजबूत बनी हुई है। यहां तक कि यूपी की समाजवादी पार्टी भी उनके खिलाफ कोई उम्मीदवार वहां से नहीं उतारती है। लेकिन इस बार समाजवादी पार्टी उनको घेरने के लिए कभी उनके ही खास रहे गुलशन यादव को उनके खिलाफ मैदान में उतार दिया।
गुलशन यादव का सियासी सफर राजा भैया के सानिध्य में ही शुरू हुआ था और उन्हीं के आशीर्वाद से वे क्षेत्र में अपना प्रभाव जमा सके थे, लेकिन अब दोनों की राहें अलग-अलग हो चुकी है। गुलशन यादव का जन्म प्रतापगढ़ जिले के कुंडा के मऊदारा गांव में सुंदर लाल यादव के यहां हुआ था। उनके छोटे भाई छविनाथ यादव समाजवादी पार्टी के प्रतापगढ़ के जिला अध्यक्ष हैं। दो दशक पहले बसपा सरकार के दौरान राजा भैया पर पोटा लगा था। इसकी वजह से गवाह राजेंद्र यादव की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में गुलशन यादव जेल चले गए थे। जब प्रदेश की सत्ता में सपा सरकार आई तो वे बाहर आ गए और विधायक राजा भैया का साथ पकड़ लिया। गुलशन यादव का सियासी सफर यहीं से जोर पकड़ा।
वे सबसे पहले मऊदारा के ग्राम प्रधान बने। उस समय से इस गांव में उनके ही परिवार की प्रधानी रही है। वे 2011 में कुंडा नगर पंचायत के चेयरमैन बनने में कामयाब रहे। बाद में वे फिर राजा भैया से अलग हो गए और 2017 में गुलशन यादव जेल में रहते हुए कुंडा नगर पंचायत के चेयरमैन पद के चुनाव में अपनी पत्नी सीमा यादव को राजा भैया के प्रत्याशी के खिलाफ खड़ा कर जिताने में सफलता हासिल की।
सपा सरकार में पुलिस डीएसपी जियाउल हक की हत्या मामले में राजा भैया के साथ-साथ गुलशन यादव का भी नाम आया था। इसके बाद कुंडा में राजा के करीबी पुष्पेंद्र सिंह पर जानलेवा हमले के मामले में उनको गिरफ्तार किया गया था और चार साल तक जेल में बंद रहे। उनकी मां मऊदारा में ग्राम प्रधान हैं। उनके दूसरे भाई छविनाथ करेटी गांव से प्रधान है।
हालांकि राजा भैया हमेशा निर्दलीय जीतते रहे हैं, लेकिन उनको सपा का समर्थन मिलता रहा है। इस बार सपा ने उनके सामने अपना प्रत्याशी उतारकर उनको कड़ी चुनौती दी है। जातीय समीकरण और गुलशन का क्षेत्र में प्रभाव राजा भैया के लिए बहुत कठिन हालात बना रखा है। कभी राजा भैया के करीबी रहे गुलशन यादव अब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के करीबी हैं। अखिलेश यादव गुलशन यादव के घर पर भी जा चुके हैं।
कुंडा विधानसभा सीट का जातीय समीकरण भी ऐसा है कि उसमें गुलशन यादव का पक्ष मजबूत दिखता है। अभी तक सपा यहां से अपना प्रत्याशी नहीं उतारती थी, इसकी वजह से राजा भैया आसानी से मैदान मार ले जाते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। यहां 75 हजार यादव, 50 हजार ब्राह्मण और 55 हजार मुस्लिम मतदाता हैं। यादव और मुस्लिम वोटर समाजवादी पार्टी का कोर समर्थक वर्ग होता है। वह गुलशन यादव के पक्ष में ही जाएगा।
दूसरी तरफ ब्राह्मण वोटर है, जो शुरू से राजा भैया के खिलाफ रहा है। ऐसे में राजा भैया के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। इसके अलावा कुंडा में 90 हजार दलित, 30 हजार कुर्मी, 18 हजार ठाकुर, 15 हजार मौर्य और 10 हजार वैश्य मतदाता है। दलितों में सबसे ज्यादा पासी समुदाय के हैं।