उत्तर प्रदेश के सत्ता का रास्ता पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के रास्ते से होकर निकलता है। इससे मोदी और योगी की नजर पूर्वांचल की 164 सीटों पर हैं। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्वांचल को पांच बड़ी बड़ी सौगात दे चुके हैं। इसमें कुशीनगर में हवाई अड्डा, लखनऊ से गाजीपुर तक एक्सप्रेस-वे और गोरखपुर में दस हजार करोड़ रुपए की तीन बड़ी परियोजनाएं है।

गोरखपुर में एक साथ 20 हजार हाथों को सीधे रोजगार से जोड़ने के लिए 600 सौ एकड़ जमीन में 8603 करोड़ रुपए के खाद कारखाने में 3.850 मीट्रिक टन नीम कोटेड यूरिया और 2.220 मीट्रिक टन लिक्यूड अमोनियम का उत्पादन होगा।

इसके बाद 112 एकड़ जमीन में 1011 करोड़ रुपए का अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स के साथ रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर दे चुके हैं। बाकी छठी बड़ी परियोजना वाराणसी में काशी विश्वनाथ कोरिडोर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 दिसंबर को काशी विश्वनाथ कोरिडोर का उद्घाटन करेंगे। पूर्वांचल की पहचान राजनीति के साथ धार्मिक स्थलों से भी जुड़ी है।

गोरखनाथ 11 वी सदी के एक प्रसिद्ध योगी थे। गोरखनाथ की श्रद्धांजलि में इनकी तपस्या स्थली पर गुरु गोरखनाथ मंदिर का निर्माण कराया गया था। जिससे योगी गोरखनाथ के नाम पर गोरखपुर जिला बसा है। बाबा गोरखनाथ ग्रंथों का लेखन करते थे। इसके बाद गुरु मत्स्येंद्र नाथ के साथ अध्यात्म और योग के स्कूल बनवाते थे। 52 एकड़ के गुरु गोरखनाथ मंदिर में बाबा गोरखनाथ के नाम पर मकर संक्रांति पर विशाल खिचड़ी भोज होता है। इस प्रसाद के लिए देश विदेश से आने वाले लाखों भक्तों का संगम होता है।

कहा जाता है कि 12 बार गोरख चालीसा पढ़ने के बाद सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। जिससे बाबा गोरखनाथ के भक्तों की अपार भीड़ होती है। बाबा गोरखनाथ मठ के महंत दिग्विजय नाथ 1967 में हिन्दू महासभा से सांसद चुने गए थे। इसके बाद इनके शिष्य गोरक्ष पीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ 5 बार विधायक और 3 बार सांसद चुने गए थे। महंत अवैद्यनाथ और बाबा गोरखनाथ मठ के उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ पौने पांच साल से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।

इसके पहले 1998 से 2017 तक 5 बार सांसद रह चुके हैं। आजादी के बाद से गोरखपुर के राजनीति की कमान सीधे मठ के पास है।1967 में महंत दिग्विजय नाथ, महंत अवैद्यनाथ और योगी आदित्यनाथ को लेकर 9 बार सांसद और 5 बार विधानसभा की कमान मिल चुकी है।गोरखपुर मंडल में 28 विधानसभा सीटें हैं। इसमें गोरखपुर 9 विधानसभा, देवरिया 7 महराजगंज 5 और कुशीनगर में 7 विधानसभा सीटें हैं।2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 23 सीटें मिली थीं।

बाकी 5 सीटों पर सपा, बसपा, कांग्रेस, सुहेलदेव और निर्दल के एक- एक विधायक बराबर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर में विधानसभा की नौ सीटें हैं। इसमें भाजपा के 8 और बसपा के एक विधायक हैं। राजपूत 3, ब्राह्मण 2, यादव और अग्रवाल एक- एक और दो सुरक्षित सीट है। जबकि 2012 में भाजपा की 3 सीटें और बसपा की 4 सीटें थी।

गोरखपुर की नौ सीटों में कैम्पियनगंज फतेह बहादुर सिंह भाजपा, पिपराइच महेंद्र पाल सिंह भाजपा, गोरखपुर शहर डॉ राधा मोहन अग्रवाल भाजपा, गोरखपुर ग्रामीण विपिन सिंह भाजपा, सहजनवा शीतला पांडेय भाजपा,खजनी सुरक्षित सीट संत प्रसाद भाजपा,चौरी चौरा संगीता यादव भाजपा, बांसगांव सुरक्षित विमलेश पासवान भाजपा और चिल्लूपार विनय शंकर तिवारी बसपा के विधायक चुने गए थे।

सहजनवा और चिल्लूपार में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। बाकी सीटों पर निषाद, कुर्मी,सैंथवार, कायस्थ, यादव, राजपूत और अनुसूचित समाज के मतदाता हैं। मंडल में तीन मंत्री है। सूर्य प्रताप शाही, स्वामी प्रसाद मौर्य और जय प्रकाश निषाद मंत्री है।