उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं और छठे-सातवें चरण के लिए क्रमशः 3 मार्च और 7 मार्च को वोट डाले जाएंगे। 3 मार्च को उत्तर प्रदेश के 10 जिलों की 57 सीटों पर वोटिंग होगी और सभी जिलें पूर्वांचल में आतें हैं। बीजेपी का निषाद पार्टी के साथ गठबंधन है और निषाद समाज के वोट भी पूर्वांचल में अधिक संख्या में है। कई जिलों में निषाद वोट निर्णायक भी साबित होते हैं।

ओपी राजभर फंस गए हैं: एक समाचार चैनल से बात करते हुए निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने कहा कि, “ओमप्रकाश राजभर भैया को क्या कहें? पहले उनका फोन आता था अब नहीं आता है अब भैया फंस गए हैं शकुनी मामा के चक्कर में। जब तक अपने (ओपी राजभर) खुद लड़ते थे तब तक बर्बाद थे। जब भारतीय जनता पार्टी के साथ आएं, तब खूब ताकत मिली। जब से शकुनी मामा के साथ गए तब से उनकी जमानत जब्त हो गई।”

भैया को बोला था मंत्री बन जाओगे: संजय निषाद ने आगे कहा कि, “ओमप्रकाश राजभर सुबह चाय श्री अखिलेश यादव जी के यहां पीते हैं लेकिन शाम को जलेबी खाने बीजेपी के दयाशंकर भाई के वहां चले जाते हैं। जो नेता छोड़कर गए हैं वह दागे – दगाएं कारतूस हैं। सब जनता कमल के निशान, कप प्लेट का बटन दबा रही है। भैया (ओपी राजभर) को हमने कहा था कि बीजेपी में आ जाओ, मंत्री बन जाओगे लेकिन वह नहीं माने।”

10 मार्च को सेहरा बंधेगा: संजय निषाद की पत्नी मालती निषाद ,निषाद पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। विधानसभा चुनाव में वह भी महिलाओं के साथ प्रचार कर रही हैं। मालती निषाद ने एक समाचार चैनल से बात करते हुए कहा कि, “हम 70 साल से वोट देते-देते कहां से कहां पहुंच गए, अब आपकी पार्टी आ गई है निषाद पार्टी ,आप उसको वोट दीजिए। महिला, बेटी और बहन सब हमारे साथ हैं। हमारी जीत सुनिश्चित है, 10 तारीख को सेहरा बंधेगा।”

पूर्वांचल में निषाद वोट निर्णायक: यूपी में मल्लाह, निषाद और केवट वोट 5 फीसदी है। मऊ, भदोही, गोरखपुर ,संतकबीर नगर, बलिया, बस्ती, सिद्धार्थनगर, देवरिया जिले में निषाद वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी के 10 से अधिक उम्मीदवारों ने 10 हजार से अधिक वोट अकेले दम पर पाए थे। जबकि भदोही की ज्ञानपुर विधानसभा सीट से निषाद पार्टी के उम्मीदवार ने जीत भी दर्ज की थी।