भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) भले ही चुनावों से खुद को दूर रखने की बात कर रहे हैं, लेकिन किसानों के मुद्दों पर वह राजनीतिक दलों को घेरने से पीछे नहीं हटते हैं। कई दलों के घोषणा पत्र में किसानों के लिए घोषणाएं की गई हैं, जिसपर उनका कहना है कि सारी राजनीतिक पार्टियां किसानों का नाम ले रही हैं, ये आंदोलन से हुआ है।

न्यूज24 से बात करते हुए राकेश टिकैत ने कहा, “सभी के घोषणा पत्र में, सभी के लाल डायरी में, कागज पत्र में किसानों का नाम तो आया, किसानों का नाम तो जुड़ गया। आज जब सभी राजनीतिक दल किसान का नाम ले रहे हैं, ये आंदोलन से हुआ है, इतना तो हुआ है।”

टिकैत ने कहा, “आने वाले समय में घोषणा पत्र भी दो तरह के बनाने पड़ेंगे, जिसकी पहले सरकार रही है और उसने अपने घोषणा पत्र के वादों के मुताबिक, क्या-क्या किया, अपना लेखा-जोखा दिखाना पड़ेगा। जैसे अभी भाजपा की सरकार थी तो पहले उनके घोषणा पत्र में क्या था और अब क्या है। उनसे (भाजपा) सवाल ये है कि आपने पहले के वादों को पूरा क्यों नहीं किया और आगे की क्या गारंटी है।”

एंकर ने पूछा कि इस लिहाज से पूर्व की सपा सरकार ने या फिर कांग्रेस ने किसानों और एमएसपी को लेकर कौन सा कानूनी जामा पहना दिया? इस पर राकेश टिकैत ने कहा, “इनसे सवाल-जवाब मांगने का मौका आ गया है अब, अपने संगठनों को किसान आंदोलन को मजबूत रखना पड़ेगा। अगर किसान आंदोलन मजबूत रहेगा तो सरकार किसी भी पार्टी की आए, हमको अपनी बात मजबूती से कहना पड़ेगा, सड़कों पर फिर उतरना पड़ेगा। जब गांव के लोग सवाल-जवाब करना शुरू कर देंगे, तो इसका समाधान कुछ न कुछ जरूर निकलेगा।”

एंकर ने किसान नेता से पूछा कि आप भी तो भाजपा को ‘सजा’ देने के मिशन पर निकल चुके हैं, गांव के लोग सवाल कर रहे हैं या आप उनको उकसा रहे हैं? इस पर जवाब देते हुए राकेश टिकैत ने कहा, “वो लोग सवाल ही तो पूछ रहे हैं, आप जवाब दे दो। मैं वोट से बहुत दूर हूं और इसको लेकर मैं कुछ नहीं कह रहा हूं।”