यूपी चुनाव में ब्राह्मण वोटों को लेकर खूब चर्चा हो रही है। यूपी में छठे और सातवें चरण का मतदान बाकी है। छठे और सातवें चरण में यूपी में पूर्वाचल के जिलों में वोटिंग होगी और यहां पर ब्राह्मण वोट निर्णायक है। यूपी चुनाव के संबंध में जब ब्राह्मणों की बात होती है तब एक नाम सामने आता है वो है हरिशंकर तिवारी का, जो पूर्वांचल में ब्राह्मणों के नेता माने जाते हैं। 1985 से लेकर 2007 तक हरिशंकर तिवारी गोरखपुर की चिल्लूपार विधानसभा सीट से विधायक रहें।

2007 में हारे हरिशंकर तिवारी: 2007 के विधानसभा चुनाव में 22 सालों बाद हरिशंकर तिवारी को हार का सामना करना पड़ा। बसपा के उम्मीदवार राजेश त्रिपाठी ने उन्हें हराया था। 2012 विधानसभा चुनाव में फिर से एक बार हरिशंकर तिवारी मैदान में कूदे, लेकिन इस बार भी वो चुनाव हार गए। 2017 के विधानसभा चुनाव में राजेश त्रिपाठी बीजेपी के टिकट पर मैदान में थे और हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी बसपा के टिकट पर मैदान में थे। विनय शंकर तिवारी ने बीजेपी को शिकस्त दी।

ब्राह्मण वोटर हैं निर्णायक: चिल्लूपार विधानसभा सीट पर ब्राह्मण मतदाताओं का वर्चस्व रहा है। करीब 85 हजार ब्राह्मण मतदाता चिल्लूपार विधानसभा सीट पर हैं। जो भी उम्मीदवार ब्राह्मणों का वोट पाता है, वही विजई होता है। 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव में ब्राह्मण वोट हरिशंकर तिवारी से हटा, तो उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा। लेकिन 2017 में ब्राह्मणों ने एक बार फिर से हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी को वोट दिया ,विनय शंकर तिवारी ने जीत हासिल की।

गौर करने वाली बात यह भी है कि 2007, 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी से टिकट पाने वाले प्रत्याशी ने ही जीत दर्ज की। इसका सबसे बड़ा कारण है कि ब्राह्मणों के साथ दलित समुदाय का वोट भी यहां पर 1 लाख 10 हजार के करीब है। चिल्लूपार में जो भी उम्मीदवार ब्राह्मणों और दलितों का वोट पाता है ,वह आसानी से चुनाव जीत जाता है।

बीजेपी ने राजेश त्रिपाठी पर भरोसा जताया: 2022 के विधानसभा चुनाव में भी चिल्लूपार विधानसभा से बीजेपी ने एक बार फिर से राजेश त्रिपाठी पर भरोसा जताया है। बीजेपी को उम्मीद है कि पार्टी और ब्राह्मण उम्मीदवार होने के कारण इस बार ब्राह्मण बीजेपी को वोट देंगे। जबकि सपा के टिकट पर विनय शंकर तिवारी मैदान में हैं। वहीं कांग्रेस ने महिला ब्राह्मण उम्मीदवार सोनिया शुक्ला को मैदान में उतारा है। अगर ब्राह्मण वोटों में बंटवारा हुआ तो बीजेपी को यहां पर फायदा हो सकता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ब्राह्मण यहां पर हरिशंकर तिवारी और उनके परिवार के साथ रहते हैं।

विकास से अछूत: चिल्लूपार गोरखपुर जिले में होने के बावजूद विकास से अछूत है। स्वास्थ्य की सुविधाओं को लेकर जनता परेशान भी रहती है। हालांकि जनता यह मानती है कि बिजली की समस्या पिछले 5 सालों में खत्म हुई है और अब क्षेत्र में 20 घंटे से अधिक बिजली रहती है।