यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में कौशांबी की सिराथू विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी ने अपने गठबंधन के साथी अपना दल (कमेरावादी) की नेता पल्लवी पटेल को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ उतारने का ऐलान किया है। इस ऐलान के अगले ही दिन 3 फरवरी को पल्लवी पटेल की सगी बहन और अपना दल (सोनेलाल) की मुखिया और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल केशव प्रसाद मौर्य के समर्थन में रोड शो के दौरान नजर आईं। अनुप्रिया पटेल ने वोटर्स अपने “भाई” केशव प्रसाद मौर्य को जिताने की अपील की।
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में अपना दल (कमेरावादी) सपा गठबंधन के साथ है, जबकि अपना दल (सोनेलाल) का गठबंधन बीजेपी के साथ है। अपना दल (सोनेलाल) इकलौती ऐसी पार्टी बची है जो कि यूपी में बीजेपी के साथ बरसों से चुनाव लड़ रही है। अपना दल की स्थापना वर्ष 1995 में ओबीसी लीडर सोनेलाल पटेल ने की थी, जिनकी 2009 में एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी। वह अपने पीछे पत्नी कृष्णा पटेल और पल्लवी पटेल और अनुप्रिया पटेल समेत चार बेटियां छोड़कर गए।
सोनेलाल ने कई विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन वह कभी जीत प्राप्त नहीं कर सके। 2002 के चुनाव में तो उनकी पार्टी के तीन कैंडिडेट जीते, लेकिन इस बार भी वह खुद हार गए। 2007 में बीजेपी के साथ गठबंधन के बावजूद अपना दल को एक भी सीट नहीं मिल पाई। 2009 में रोड एक्सीडेंट के दौरान सोनेलाल की मौत के बाद कृष्णा पटेल को अपना दल का अध्यक्ष चुना गया। सोनेलाल की मृत्यु के बाद पार्टी मीटिंग में तय किया गया कि अनुप्रिया पटेल सियासी गतिविधियों का चार्ज लेंगी और पल्लवी पटेल पार्टी के कोष और अन्य संपत्ति को संभालने का काम करेंगी। अपना दल (सोनेलाल) के प्रवक्ता राजेश पटेल ने बताया कि पार्टी मीटिंग में यह सब तय होने के बाद पल्लवी पटेल ने खुद भी पॉलिटिक्स में एंट्री करने का फैसला लिया।
2012 के चुनाव में अनुप्रिया पटेल ने रोहनिया सीट से चुनाव लड़ा पार्टी की इकलौती विजेता बनीं। 2014 में कुर्मी और नॉन यादव ओबीसी वोटर्स को साधने के लिए 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना दल के साथ चुनाव लड़ा। इस चुनाव में अपना दल ने दो लोकसभा सीटें जीत लीं। अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर लोकसभा से चुनी गईं। सबकुछ ठीक था, लेकिन अपना दल में विवाद उस वक्त बढ़ा जब अध्यक्ष कृष्ण पटेल ने पल्लवी पटेल को पार्टी का उपाध्यक्ष बना दिया।
अनुप्रिया पटेल ने मां के इस फैसले को गैरकानूनी और मनमाना करार दिया। इस टकराव के बीच कृष्णा पटेल ने अनुप्रिया को पार्टी के जनरल सेक्रेट्री पद से हटा दिया। इसके बाद कृष्ण पटेल ने अनुप्रिया के सांसद बनने के बाद खाली हुई रोहनिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन वह हार गईं। हार के बाद कृष्णा पटेल ने बेटी अनुप्रिया और दामाद आशीष पटेल पर आरोप लगाया कि दोनों ने उनकी हार के लिए साजिश रची थी। उन्होंने आरोप लगाया कि अनुप्रिया पटेल की निजी महत्वाकांक्षा ने आज पार्टी और परिवार को इस हाल में पहुंचा दिया है।
मई 2015 में कृष्णा पटेल ने अनुप्रिया को अपना दल से निलंबित कर दिया। इस बीच कृष्णा पटेल और अनुप्रिया पटेल दोनों खुद को पार्टी का अध्यक्ष बताते रहे। 2016 में जब अनुप्रिया पटेल को पीएम मोदी ने केंद्रीय मंत्री बनाया तब कृष्णा पटेल ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने उनकी बेटी को मंत्री बनाने से पहले उनके साथ सलाह-मशविरा नहीं किया। विवाद के बीच अनुप्रिया पटेल ने चुनाव आयोग का रुख करते हुए पार्टी अध्यक्ष पद पर अपना दावा पेश किया, लेकिन चुनाव आयोग ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया। इसके बाद अनुप्रिया पटेल ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया। जहां पर मामला अब भी पेंडिंग है। 2020 में कृष्णा पटेल ने अपना दल (कमेरावादी) नाम से पार्टी रजिस्टर्ड करा ली। पार्टी प्रवक्ता विनोद कसेरा ने बताया कि नए नाम के साथ पार्टी का यह पहला चुनाव होगा। इस पार्टी को मां कृष्णा पटेल के साथ पल्लवी देख रही हैं, जबकि उनके पति पंकज निरंजन पार्टी के जनरल सेक्रेट्री हैं।
हालांकि, अपना दल (सोनेलाल) का दावा है कि हाई कोर्ट में मामले को कृष्णा पटेल लेकर गई थीं और पार्टी अध्यक्ष पद पर दावा जताया था। अनुप्रिया पटेल ने अपना दल (सोनेलाल) नाम से 2016 में ही पार्टी बना ली थी, जब उनका पारिवारिक विवाद शुरू ही हुआ था। उन्होंने 2017 में बीजेपी के साथ गठबंधन भी कर लिया। इस चुनाव में उनकी पार्टी 11 सीटों पर लड़ी और उसे 9 पर जीत प्राप्त हुई। बीजेपी की मदद से अनुप्रिया के पति आशीष 2018 में विधान परिषद सदस्य चुने गए। बीजेपी के साथ गठबंधन को जारी रखते हुए अनुप्रिया पटेल ने 2019 लोकसभा चुनाव भी गठबंधन के साथ लड़ा और पिछले साल उन्हें दोबारा मोदी सरकार में मंत्री बनने का मौका मिला।
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में अपना दल (सोनेलाल) की कद बढ़ गया है, क्योंकि ओमप्रकाश राजभर गठबंधन को छोड़कर जा चुके हैं। अपना दल में उठे अपनों के विवाद के बाद दो अलग-अलग पार्टियां बनने पर अपना दल (सोनेलाल) के प्रवक्ता राजेश पटेल ने कहते हैं कि अपना दल (कमेरावादी) सोनेलाल के विचार से दूर चले गए हैं। यहां तक कि उन्होंने दूसरी पार्टियों के सिंबल के पर भी चुनाव लड़ना स्वीकार कर लिया है। 2019 में कृष्णा पटेल ने गोंडा और पंकज निरंजन ने फूलपुर सीट पर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों हार गए। राजेश पटेल ने कहा, “अनुप्रिया जी ने कभी इस तरह से समझौता नहीं किया।”
पिछले हफ्ते ही अपना दल (कमेरावादी) ने वाराणसी की रोहनिया और पिंडारा, जौनपुर की मड़ियाहूं, मिर्जापुर की मरिहन, सोनभद्र की घोरावल, प्रतापगढ़ सदर और इलाहाबाद वेस्ट सीट पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। इस सभी सीटों अपना दल (सोनेलाल) अपना वर्चस्व होने का दावा कर रहा है। अपना दल (सोनेलाल) अब तक 11 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर चुका है।
राजेश पटेल ने बताया कि अलग पार्टी बनाने के बाद भी अनुप्रिया पटेल अपनी मां की इज्जत करती हैं और जब भी कानपुर अपने पैतृक आवास पर जाती हैं तब वह उनके साथ रहती भी हैं।