उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के नतीजे 10 मार्च को आएंगे। इस बीच प्रदेश की कुछ सीटें ऐसी हैं जिनपर सभी निगाहें टिकी हुई हैं। बता दें कि इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर सदर सीट भी शामिल है। इस सीट पर इस बार उत्तर प्रदेश के औसत से भी कम मतदान हुआ। लेकिन इसके बाद भी इस सीट के इतिहास को देखें तो वोटिंग के मामले में पिछले 45 साल का रिकॉर्ड टूट गया।
बता दें कि इस बार शहरी सीट पर 53.30 फीसदी मतदान हुआ। वहीं साल 2012 में इस सीट पर 46.2 प्रतिशत मतदान हुआ था। बात 2017 की करें तो उस दौरान 50.98 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। गौरतलब है कि इस बार इस सीट से योगी आदित्यनाथ पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में वोट प्रतिशत भी अधिक देखने को मिला है। माना जा रहा है कि योगी के चुनाव लड़ने से शहरी वोटरों में उत्साह रहा।
वोट प्रतिशत बढ़ने के साथ भाजपा नेताओं का अनुमान है कि इस बार भाजपा की जीत में मार्जिन भी बढ़ेगा। बता दें कि इसी सीट के नतीजों का हर किसी को इंतजार है। दरअसल इस सीट पर 1989 से भाजपा का कब्जा रहा है।
इस सीट पर 1977 में वोटिंग प्रतिशत 43.9 था। उस दौरान जनता पार्टी के अवधेश श्रीवास्तव ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद 1980 में वोटिंग प्रतिशत में कमी देखी गई। यहा 42.1 प्रतिशत रहा। जिसका फायदा कांग्रेस को मिला और सुनील शास्त्री विधायक चुने गये। 1985 में 37.5 फीसदी मतदान और इस बार भी सुनील शास्त्री को जीत मिली।
आगे चलकर 1989 से इस सीट पर भाजपा ने अपना दबदबा मना लिया। बता दें कि 1989 में वोटिंग प्रतिशत में भी काफी उछाल देखने को मिला। इस दौरान 49.5 फीसदी वोट पड़े और भाजपा के उम्मीदवार शिव प्रताप शुक्ला को जीत मिली। शिव प्रताप शुक्ला इस सीट से 1989, 1991, 1993, 1996 में भाजपा का परचम लहराते रहे।
वहीं मतदान प्रतिशत की बात करें तो 1991 में 43.4 फीसदी, 1993 में 47.7 फीसदी, 1996 में 38 फीसदी मतदान हुए थे। इसके बाद 2002 में 33.1 फीसदी मतदान हुआ और जीत हिंदू महासभा के डॉ राधामोहन दास अग्रवाल जीतकर विधानसभा पहुंचे। आगे चलकर उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया। और तब से वहीं जीतते आ रहे हैं। बता दें कि 2007 में यहां 28.6 फीसदी मतदान हुआ। वहीं 2021 में 46.2 फीसदी, 2017 में 50.98 फीसदी मतदान हुआ था।
बता दें कि योगी आदित्यनाथ खुद गोरखपुर लोकसभा सीट से पांच बार सांसद रह चुके हैं। इस बार वो सदर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में भाजपा और लोगों की भी उम्मीदें बढ़ी हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि “महाराज” को रिकॉर्ड बनाए रखना चाहिए या फिर इससे भी बेहतर करना चाहिए। इससे कम होना एक झटका होगा।