शिवनारायण राजपुरोहित
यूपी विधानसभा चुनाव में दादरी सीट पर गुर्जर समाज में नाराजगी देखी जा रही है। दरअसल पिछले साल 22 सितंबर को योगी सरकार ने इस गांव में गुर्जर सम्राट मिहिर भोज की एक प्रतिमा लगवाई थी। इस दौरान प्रारंभिक पट्टिका में ‘गुर्जर’ शब्द नहीं लिखा था। ऐसे में गुर्जर समाज की तरफ से विरोध देखने को मिला। हालांकि लोगों के विरोध के चलते राज्य सरकार ने बाद में इसे ठीक किया था।
सीट का समीकरण: बता दें कि दादरी सीट पर कोई दल नहीं चाहता कि गुर्जर समाज उससे नाराज रहे। दरअसल इस निर्वाचन क्षेत्र के कुल 6 लाख मतदाताओं में लगभग 2 लाख गुर्जर मतदाता हैं। इस सीट पर बसपा ने 2007 और 2012 में जीत दर्ज की थी। वहीं 2017 में मोदी लहर के बीच भाजपा ने 80 हजार से अधिक वोटों से जीत पाई थी।
दादरी विधानसभा सीट के समीकरण की बात करें तो गुर्जरों के अलावा, मतदाताओं का अन्य बड़ा हिस्सा ठाकुर जाति से है। जिसकी संख्या लगभग 1.2 लाख है। वहीं मुस्लिम और जाटव दोनों 80 हजार के आसपास हैं। जहां क्षत्रिय वोटों को भाजपा के मतदाता के रूप में जाना जाता है तो वहीं मुसलमानों को सपा का समर्थक माना जाता है। इसके अलावा इस क्षेत्र में जाटवों को बसपा के रूप में देखा जाता है। वहीं गुर्जर वोट हार जीत में अंतर तय करने का काम करता है।
ऐसे में कोई दल गुर्जर समाज को नाराज नहीं करना चाहता। चुनाव प्रचार के आखिरी दिन मंगलवार को बसपा प्रत्याशी मनबीर सिंह ने पीजी कॉलेज में मिहिर भोज की प्रतिमा पुष्प चढ़ाकर ‘गुर्जर सम्राट मिहिर भोज, अमर रहे’ के नारे लगाए। उन्होंने कहा कि हम किसी को भी अपने गुर्जर आइकॉन को नीचा दिखाने की इजाजत नहीं देंगे। हम यह तय करेंगे कि यह ना हो।
वहीं दादरी के मौजूदा विधायक तेजपाल सिंह नागर का कहना है कि यह सिर्फ राजनीति के अलावा कुछ नहीं है। बता दें कि नागर को भाजपा ने एक फिर से दादरी सीट से अपना प्रत्याशी बनाया है।