उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। इस बार भी राजनीतिक दलों ने गंभीर मुकदमे झेल रहे नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा है। सूबे में ऐसे कई नेता हैं जिनकी अपने अपने क्षेत्र में धमक है और इसी के बूते लंबे वक्त से चुनाव जीतते रहे हैं। इन्हीं में आजम खान, विजय मिश्रा और मुख्तार अंसारी भी शामिल हैं जो पिछले 20 सालों से भी अधिक समय से लगातार विधायक हैं। प्रदेश में सरकार किसी की भी बने लेकिन इनके विधानसभा क्षेत्रों में इन्हीं का सिक्का चलता है। पिछले कई चुनावों से ये नेता ‘माननीय’ बनते आ रहे हैं।

वर्तमान में विजय मिश्रा, मुख्तार अंसारी और आजम खान जेल में बंद हैं। विजय मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी कि चुनाव प्रचार के लिए उन्हें बेल दी जाए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अर्जी पर सुनवाई करते हुए बेल देने से मना कर दिया है। विजय मिश्रा आगरा की सेंट्रल जेल में बंद है तो वहीं बाहुबली मुख्तार अंसारी बांदा जेल में बंद है। आइए जानते हैं तीनों नेताओं का राजनीतिक सफर:

आजम खान: आजम खान की गिनती प्रदेश और समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेताओं में की जाती है। वर्तमान में आजम खान सीतापुर की जेल में बंद हैं और उनके ऊपर कई मुकदमे दर्ज हैं। आजम खान मुलायम सिंह यादव के काफी करीबी माने जाते हैं और जब समाजवादी की पार्टी की प्रदेश में सरकार थी तब वह सबसे ताकतवर नेता माने जाते थे।

बता दें, आजम खान 9 बार रामपुर विधानसभा सीट से विधायक चुने जा चुके हैं। 1996 विधानसभा चुनाव को छोड़कर 1980 से लगातार आजम खान रामपुर से विधायक चुने जाते रहे हैं। 2019 लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें रामपुर सीट से उम्मीदवार बनाया था और उन्होंने जीत हासिल की थी। आजम खान 1996 से 2002 तक राज्यसभा के सांसद भी थे। बता दें आजम खान अभी जेल में है और उनके ऊपर कई मुकदमे दर्ज हैं। उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान भी जेल में थे लेकिन कुछ दिन पहले ही उन्हें बेल मिली है। समाजवादी पार्टी ने आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्लाह आजम खान दोनों को उम्मीदवार बनाया है। अगर आजम खान जेल से बाहर नहीं आ पाते हैं तो वह जेल में रहकर ही चुनाव लड़ेंगे।

विजय मिश्रा: विजय मिश्रा वर्तमान में ज्ञानपुर से विधायक हैं और आगरा की सेंट्रल जेल में बंद हैं। मिश्रा सन 2002 से लगातार ज्ञानपुर से विधायक बनते आ रहे हैं। उन्हें मुलायम सिंह यादव का करीबी माना जाता है। 2002, 2007 और 2012 का चुनाव विजय मिश्रा ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर लड़ा था और जीत हासिल की थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो उन्होंने पार्टी छोड़ दी और निषाद पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और मोदी लहर में भी 20,000 से अधिक वोटों से जीत हासिल की।

विजय मिश्रा भदोही की ज्ञानपुर विधानसभा सीट से आते हैं और यह सीट ब्राह्मण और दलित बाहुल्य मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि यहां के ब्राह्मण विजय मिश्रा को ही अपना नेता मानते हैं। विजय मिश्रा वर्तमान में आगरा की सेंट्रल जेल में बंद है और उनके ऊपर कई गंभीर मुकदमे दर्ज हैं, जिसमें हत्या और अपहरण भी शामिल है। आपको बता दें कि विजय मिश्रा वर्तमान में जिस मामले में जेल में है वह मामला उनके रिश्तेदार ने ही दर्ज करवाया है।

मुख्तार अंसारी: बाहुबली मुख्तार अंसारी वर्तमान में बांदा जेल में बंद हैं और मऊ से लगातार पिछले 5 चुनावों से जीतते हुए आ रहे हैं। 1996 में मुख्तार अंसारी ने बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। फिर उसके बाद 2002 और 2007 में उन्होंने मऊ से निर्दलीय जीत हासिल की। 2012 का चुनाव उन्होंने कौमी एकता दल के टिकट पर लड़ा और जीत हासिल की थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी ने फिर मुख्तार अंसारी को प्रत्याशी बनाया और बाहुबली मुख्तार ने मऊ से जीत हासिल की।

बता दें कि मुख्तार अंसारी के खिलाफ यूपी की अलग-अलग अदालतों में कई गंभीर मुकदमे चल रहे हैं। इस विधानसभा चुनाव में मऊ सदर से बहुजन समाज पार्टी ने अपने प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को भी उम्मीदवार बनाया है। वहीं चर्चा है कि मऊ सदर से ही मुख्तार अंसारी भी ताल ठोक सकते हैं। बता दें कि मुख्तार अंसारी से मिलने ओमप्रकाश राजभर भी पहुंचे थे। ऐसा माना जाता है कि अगर समाजवादी पार्टी गठबंधन के नेताओं ने विरोध नहीं किया तो मुख्तार अंसारी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर भी चुनाव लड़ सकते हैं।