यूपी विधानसभा चुनाव में कुछ ही महीने बाकी है। इसको देखते हुए समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के बीच गठबंधन को अंतिम रूप देने की तैयारी चल रही है। बता दें कि सपा और रालोद में गठबंधन का ऐलान भले ही हो चुका हो लेकिन अभी दोनों पार्टियों में सीट बंटवारे को लेकर बात बनती नहीं दिख रही है।

सूत्रों की मानें तो रालोद चाहती है कि सपा के साथ गठबंधन में उसे 40 सीटें चुनाव लड़ने के लिए मिले। वहीं सपा 33 सीटें देने के मूड में हैं। 7 सीटों पर दोनों पार्टियों में बात चल रही है। 6 जनवरी को रालोद नेता जयंत चौधरी, सोमपाल शास्त्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव की लखनऊ में मुलाकात हुई। इसकी तस्वीर भी दोनों नेताओं ने शेयर की।

अखिलेश ने तस्वीर के साथ लिखा, “श्री जयंत चौधरी जी के साथ उप्र के भविष्य के विकास की बात…” हालांकि दोनों की तरफ से सीट बंटवारे को लेकर कोई जानकारी शेयर नहीं की गई है। माना जा रहा है कि रालोद और सपा के बीच गठबंधन को लेकर पूरी तरह से बात नहीं बन पा रही है। यही वजह है कि दोनों नेताओं में बैठकों का दौर जारी है।

वहीं जयंत चौधरी की तरफ से इस मुलाकात के बाद कहा गया कि कई मुद्दों पर दोनों पार्टियों में सकारात्मक बात हुई। जिन मुद्दों पर चर्चा हुई, उसकी घोषणा जल्द ही कर दी जाएगी।

यहां फंसा पेच!: मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों पार्टियों में सीट बंटवारे के अलावा साइकिल सिंबल पर भी बात अटकी हुई है। सूत्रों की मानें तो सपा चाहती है कि 21 सीटों पर रालोद अपने प्रत्याशी और अपने सिंबल पर चुनाव लड़े लेकिन 12 सीटों पर रालोद के उम्मीदवार सपा के साइकिल के सिंबल पर चुनाव लड़े।

ऐसे में माना जा रहा है कि रालोद सपा की इस मनमानी से नाराज है। अगर चुनाव तारीखों के ऐलान तक दोनों पार्टियों में बात नहीं बनती तो मुमकिन है कि दोनों दल अलग-अलग रास्तों पर चुनाव में उतरें।

अखिलेश क्यों चाहते हैं रालोद का साथ: बता दें कि किसान आंदोलन को लेकर किसानों में भाजपा विरोध के सुर देखे गये। इसका फायदा अखिलेश यादव पश्चिमी यूपी में रालोद के सहारे पाना चाहते हैं। माना जाता है कि पश्चिमी यूपी में जाट मतदाताओं में रालोद का अच्छा दबदबा है। ऐसे में अखिलेश की कोशिश रहेगी कि वो जयंत चौधरी को सीटों के मामले में मना ले जायें।