अगले कुछ महीनों में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा अपनी तैयारियों को असली जामा पहनाने में लगी हुई है। प्रचार के शुरुआती चरण से लग रहा है कि भाजपा अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और काशी विश्वनाथ धाम के भव्य निर्माण को चुनावों में भुनाएगी। वहीं एक सवाल यह भी कि भाजपा ने 2017 में जिन मुस्लिम आबादी वाली विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी, क्या वैसा प्रदर्शन बरकरार रख पाएगी।
बता दें कि 2017 में भाजपा ने 403 विधानसभा सीटों में से 325 पर जीत दर्ज की थी। इसमें सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि भाजपा अधिक मुस्लिम आबादी की 82 सीटों में से 62 पर जीत हासिल करने में कामयाब रही थी। इन सीटों पर मुस्लिम वोटरों की आबादी एक तिहाई है।
हिंदुत्व की राजनीति करने की छाप रखने वाली भाजपा का इन सीटों पर जीतना हर दल के लिए चौंकाने वाले रहा था। वो भी तब, जब भाजपा ने पिछले यूपी विधानसभा चुनाव में एक भी मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा था।
कौन सी मुस्लिम आबादी वाली सीटें आईं थी भाजपा के कब्जे में: दरअसल 2017 की जीत में भाजपा के लिए सबसे अहम किरदार वोटों का बंटवारा साबित हुआ। करीब 2 दर्जन ऐसी सीटें रही थीं, जहां पर मुस्लिम वोटों के बंटने से भाजपा को फायदा मिला। इनमें मुजफ्फरनगर, शामली, बिजनौर, मेरठ की सरधना, सहारनपुर, बरेली, गोरखपुर की खलीलाबाद, अंबेडकर नगर की टांडा, श्रावस्ती जिले की श्रावस्ती और गैन्सारी और मुराबादाबाद शामिल हैं।
इस बार योगी सरकार के कार्यों की समीक्षा: फिलहाल 2017 में चुनाव नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ा गया था लेकिन इस बार योगी सरकार में हुए कार्यों की समीक्षा के आधार पर लोग वोट करेंगे। ऐसे में तस्वीर अलग होगी। वहीं 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा पर यह भी दबाव होगा कि वो जीती हुई सीटों पर अपनी कामयाबी दोहराए। हालांकि इस बार आवास योजना, उज्जवला योजना, तीन तलाक कानून के सहारे भाजपा उम्मीद लगाए बैठी है कि उसे कम से कम मुस्लिम महिलाओं का वोट तो मिलेगा ही।
कई योजनाओं का लाभ मुस्लिमों को भी मिला: बता दें कि यूपी बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चे के मुताबिक भाजपा सरकार की कई योजनाओं का लाभ मुस्लिमों को भी मिल रहा है। इसका लाभ पाने वालों में करीब तीस फीसदी लाभार्थी मुसलमान हैं। मुफ्त राशन वितरण, आवास, उज्ज्वला, आयुष्मान भारत योजना समेत तमाम योजनाओं का बड़े पैमाने पर लाभ मुसलमानों को मिल रहा है।
भाजपा का मानना है कि सूबे में ऐसे बहुत से मुसलमान हैं जिनको ठीक तरीके से छत नसीब नहीं थी। पीएम आवास योजना के जरिए उनका पक्की छत का सपना साकार हुआ है। बता दें कि ऐसी तमाम योजनाओं से लाभ पाने वाले मुस्लिम वोटों पर भाजपा की नजर बनी हुई है।
वहीं योजनाओं के लाभ से अलग सियासी समीकरण के जरिए भी भाजपा सत्ता वापसी की राह देख रही है। जहां यूपी में एक राय है कि मुसलमान समाजवादी पार्टी का आधार मतदाता है। तो वहीं AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के आक्रामक तरीके से ताल ठोकने से सपा का खेल बिगड़ सकता है। ऐसे में भाजपा को लग रहा है कि उसकी सत्ता की राह आसान हो सकती है।
फिलहाल भाजपा की योजनाओं से उसकी उम्मीदें कितनी पूरी होती हैं और ओवैसी सपा का कितना नुकसान कर पाते हैं यह तो आगामी विधानसभा चुनाव के नतीजे ही बताएंगे।