उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और सभी राजनीतिक दलों ने लगभग आधी सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान भी कर दिया है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM भी ताल ठोक रही है। AIMIM ने 27 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, जिसमें से 4 उम्मीदवार हिंदू हैं। ओवैसी की पार्टी के ऐसे कई उम्मीदवार हैं जो उत्तर प्रदेश में विपक्षी पार्टियों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। विपक्षी पार्टियों को डर है कि अगर ओवैसी कुछ मुस्लिम वोटों को अपने साथ ले गए हैं तो इससे उनको नुकसान होगा।

ऐसी ही एक सीट पर ओवैसी की पार्टी की एक उम्मीदवार हैं जिनसे सपा और बसपा दोनों को परेशानी हो सकती है। उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले की नगीना एससी सीट से ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने ललिता कुमारी को उम्मीदवार बनाया है। बता दें कि नगीना विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है।

ललिता कुमारी को टिकट क्यों?: ललिता कुमारी के पति इफ्तिखार चौधरी कांग्रेस के नेता थे। लेकिन नगीना विधानसभा सीट एससी के लिए रिजर्व है, जिससे इफ्तिखार चौधरी चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ एआईएमआईएम पार्टी का दामन थाम लिया। इफ्तिखार चौधरी की पत्नी ललिता कुमारी अनुसूचित जाति से हैं। विधानसभा क्षेत्र में इफ्तिखार चौधरी का अच्छा प्रभाव भी है। सारे समीकरण इफ्तिखार चौधरी की पत्नी के पक्ष में बैठे और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने ललिता कुमारी को नगीना विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार घोषित कर दिया।

बता दें कि AIMIM प्रत्याशी ललिता कुमारी ने बसपा और सपा के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है और दोनों दलों को डर है कि अगर AIMIM प्रत्याशी का दलित मुस्लिम गठजोड़ काम कर गया तो इस सीट पर AIMIM जीत प्राप्त कर सकती है। बता दें कि यहां पर असदुद्दीन ओवैसी ने दिसम्बर 2021 में एक सभा को भी संबोधित किया था जिसमें भारी भीड़ इकट्ठा हुई थी।

किस पार्टी से किसको टिकट: 2022 के विधानसभा चुनाव में मनोज कुमार पारस समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार है तो वहीं पर बीएसपी से बृजपाल सिंह चुनावी ताल ठोक रहे हैं। कांग्रेस ने हेनरीता राजीव सिंह पर भरोसा जताया है तो बीजेपी ने डॉक्टर यशवंत को मैदान में उतारा है। जबकि एआईएमआईएम की प्रत्याशी ललिता कुमारी हैं।

जातीय समीकरण : नगीना विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है, लेकिन यहां पर मुस्लिम मतदाता भी निर्णायक हैं। एक अनुमान के मुताबिक नगीना विधानसभा में 70,000 दलित मतदाता हैं जबकि 65 हजार के करीब मुस्लिम मतदाता हैं। साथ ही साथ इस विधानसभा क्षेत्र में ओबीसी समाज के लोग भी अच्छी संख्या में है। कुशवाहा, कुम्हार, पाल समाज के लोग भी यहां पर रहते हैं।

सपा-बसपा का रहता है दबदबा: साल 1996 और 2002 में यहां से समाजवादी पार्टी ने जीत प्राप्त की थी जबकि 2007 में बीएसपी ने परचम लहराया था। 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार मनोज कुमार पारस ने जीत प्राप्त की थी। यहां से दो बार बीजेपी के उम्मीदवारों ने भी जीत प्राप्त की है। 1991 के चुनाव में बीजेपी को जीत हासिल हुई थी जबकि 1998 के उपचुनाव में बीजेपी ने जीत प्राप्त की थी।