उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में विधानसभा चुनाव के दौरान वोट की खातिर लोधी जाति के इकलौते विधायक रहे दिवंगत महेंद्र सिंह कई राजनीतिक दलों के प्रेरणास्रोत बने हुए हैं। एक दशक पहले कम उम्र में दुनिया को अलविदा कह चुके महेंद्र सिंह राजपूत की पहचान अति पिछड़ी जाति के लोकप्रिय नेता के तौर पर रही है। जिले में महेंद्र सिंह राजपूत जैसा राजनैतिक वजूद उनकी जाति से ताल्लुक रखने वाले नेता आज तक बना नहीं सके हैं।
इटावा सदर विधानसभा सीट पर तीन दलों के उम्मीदवार दिवंगत पूर्व विधायक राजपूत की तस्वीर से लोधी राजपूत वोट बैंक साधने में जुटे हुए हैं। समाजवादी पार्टी के गढ़ इटावा की सदर सीट पर राजपूत समाज का लगभग 40 से 45 हजार अनुमानित वोट है, जिसको लेकर सपा-बसपा व आरजेपी के चुनावी पोस्टरों में उनकी फोटो देखने को मिल रही है।
समाजवादी पार्टी ने तो अपनी सरकार बनने पर उनके नाम से स्मारक पार्क बनाने की भी घोषणा की है। फोटो इस्तेमाल को लेकर उनके बेटे योगेंद्र सिंह ने साफ तौर पर कहा कि मुझसे किसी भी दल ने संपर्क नहीं किया और न मुझे इस मामले की जानकारी है। दिवंगत राजपूत ने समाजवादी पार्टी से अपने राजनीति की शुरुआत की। जिसमें एक बार जिला पंचायत अध्यक्ष और सपा से साल 2002 और 2007 मे टिकट पर चुनाव जीते थे लेकिन सपा से अनबन के बाद उन्होंने 2009 में बसपा के टिकट से समाजवादी पार्टी को ही चुनौती दे डाली और पहली बार बसपा का सदर सीट पर परचम फहरा दिया। 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा के रघुराज सिंह शाक्य ने महेंद्र सिंह राजपूत को हरा दिया। 17 अगस्त 2012 को राजपूत को दिल का दौरा पड़ा और इटावा की जनता के बीच से एक जमीनी और लोकप्रिय नेता चला गया।
पूर्व विधायक के बेटे योगेंद्र सिंह का मानना है कि उनके पिता जमीनी और लोकप्रिय नेता थे। इटावा की जनता को उनसे बेहद लगाव था। जिसके लिए अब उम्मीदवार उनका फोटो लगाकर राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं लेकिन मेरा किसी उम्मीदवार को कोई समर्थन नही है और न किसी ने मुझसे इस बात के लिए संपर्क किया।
बसपा जिलाध्यक्ष बलवीर जाटव कहते है कि दिवंगत महेंद्र सिंह बसपा से विधायक रहे और आखिरी समय में बसपा में ही थे तो वे हमारे नेता थे। हम सभी बसपा नेता उनका सम्मान करते हैं, इसलिए उनका फोटो प्रचार में लगाया गया है। राष्ट्रीय जनाधिकार पार्टी के उम्मीदवार सत्यप्रकाश राजपूत का कहना हैं कि वे बड़े नेता थे। पिछड़े वर्ग के साथ वे सभी के नेता थे। इस बार किसी बड़े दल ने राजपूत समाज को सदर सीट से टिकट नहीं दिया इसलिए हम राजपूत समाज से प्रत्याशी के तौर पर उतरे हैं।
सभी पार्टियों को राजपूतों का वोट चाहिए लेकिन टिकट नही देना चाहते 10 मार्च को इसका जवाब सभी पार्टियों को मिल जाएगा। सपा के जिलाध्यक्ष गोपाल यादव का कहना है कि महेंद सिंह राजपूत की शुरुआती राजनीति समाजवादी पार्टी से ही शुरू हुई थी जिसके कारण समाजवादी पार्टी के नेता उनको अपना प्रेरक मानते है और हमेशा मानते रहेंगे। राजनीतिक टीकाकार सुभाष त्रिपाठी बताते हैं कि जब कभी भी कोई चुनाव होता है तो हमेशा ऐसा देखा है कि कोई लोकप्रिय नेता को वोट की खातिर राजनेता अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हैं। ऐसा ही इटावा मे भी देखा जा रहा है।