शंकर दास
बरेली जिले में शहरी क्षेत्र की दोनों सीटों बरेली शहर और कैंट में सपा ने भाजपा के परंपरागत वोट बैंक वैश्य समाज के उम्मीदवारों को उतार कर उसे कड़ी चुनौती देने का प्रयास किया है। इन दोनों सीटों पर वैश्य, कायस्थ और दूसरी सवर्ण जातियों के साथ पिछड़ों और दलितों में भी भाजपा की अच्छी पैठ मानी जाती है।
इन मजबूत वोट बैंकों के दम पर शहर सीट पर यहां चार दशक के दौरान हुए सभी नौ विधानसभा चुनावों में भाजपा के उम्मीदवार जीतते रहे हैं। नए परिसीमन के बाद 2012 से कैंट विधानसभा सीट पर भी भगवा परचम लहराया है। जिले की नौ विधानसभा सीटों में से बरेली शहर सीट भाजपा का सबसे मजबूत किला मानी जाती है। यहां 1985 में भाजपा के टिकट पर दिनेश जौहरी जीते थे।
तब से अब तक नौ चुनावों में इस सीट पर भाजपा के उम्मीदवार ही जीतते रहे हैं। पिछले दो चुनाव 2012 और 2017 में यहां से जीते अरुण को ही 2022 के चुनाव में भी टिकट मिला है। वे 2017 का चुनाव 51.37 फीसद मत पाकर जीते थे। दूसरे नम्बर पर रहे सपा-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार प्रेम प्रकाश अग्रवाल 38.58 फीसद वोट मिले थे। बसपा के अनीस अहमद खान को महज 14588 वोट मिले थे।
इस बार यहां सपा ने नगर निगम के पार्षद राजेश अग्रवाल को उतारा है। कांग्रेस की ओर से कृष्णकांत शर्मा और बसपा के ब्रह्मानंद शर्मा चुनाव अखाड़े में हैं। प्रमुख दलों से कोई भी मुसलिम उम्मीदवार मैदान में नहीं है। इसका लाभ सपा उम्मीदवार को मिलने उम्मीद लगाई जा रही है। इस क्षेत्र के कुल 4 लाख 52 हजार 525 मतदाताओं में से मुसलिम 28 फीसद, वैश्य, कायस्थ, ब्राह्मण और क्षत्रिय आदि सवर्ण जातियां 34 फीसद, मौर्य, कुर्मी, कश्यप, यादव, बढ़ई और लोध आदि पिछड़ी जातियां 22फीसद, जाटव, बाल्मीकि और धोबी आदि दलित जातियां लगभग 07 फीसद हैं। इसके अलावा सिंधी, पंजाबी, खत्री और अन्य वर्गों के लगभग 9 फीसद मतदाता हैं।
शहरी क्षेत्र में ही लगने वाले बरेली कैंट विधानसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण और राजनैतिक माहौल लगभग शहर सीट की तरह ही है। यहां कांग्रेस ने मोहम्मद इस्लाम अन्सारी उर्फ बब्बू को उतारा हैं। पिछले दो चुनाव में यहां से जीते प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री राजेश अग्रवाल की उम्र 75 पार होने के कारण इस बार भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया है। उनकी जगह संघ पृष्ठभूमि के भाजपा के प्रदेश सह कोषाध्यक्ष संजीव अग्रवाल मैदान में हैं।
सपा ने कांग्रेस से दल बदल कर आईं पूर्व मेयर सुप्रिया ऐरन को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया था और वे चुनाव प्रचार में भी जुट गई थीं। नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के बाद वे पाला बदल कर सपा की उम्मीदवार बनीं। उनके सपा में जाने के बाद कांग्रेस ने यहां से मोहम्मद इस्लाम अन्सारी उर्फ बब्बू को उम्मीदवार बनाया है। इस चुनाव क्षेत्र में भाजपा, कांग्रेस और सपा के बीच त्रिकोणीय संघर्ष माना जा रहा है। इस क्षेत्र से बसपा ने अनिल बाल्मीकि को उम्मीदवार बनाया है लेकिन फिलहाल वे मुख्य मुकाबले से बाहर नजर आ रहे हैं।
