यूपी चुनाव में इस बार अखिलेश यादव बीजेपी को हराने के लिए एक खास रणनीति पर काम करते दिख रहे हैं। इस स्ट्रैटेजी को देख कर ऐसा लग रहा है जैसे वो सॉकर और हॉकी के खेलों में अजमाए जाने वाले रणनीति की प्रयोग कर रहे हैं। हालांकि अखिलेश यादव खुद फुटबॉल के खिलाड़ी रहे हैं।
टीओआई के अनुसार आम तौर पर हॉकी में इस्तेमाल की जाने वाली रणनीति, मैन-टू-मैन मार्किंग, बीजेपी का मुकाबला करने के लिए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष द्वारा अपनाई जा रही है। जिस तरह से बीजेपी विपक्षी दलों के असंतुष्ट या प्रभावशाली नेताओं को अपने साथ ला रही है, वैसै ही अखिलेश भी कांग्रेस, भाजपा और बसपा सहित अन्य दलों के नेताओं को लाने में सफल रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अखिलेश दो तरफा रणनीति पर काम कर रहे हैं ताकि छोटे दलों के साथ एक सौहार्दपूर्ण सीट बंटवारे के फार्मूले के साथ गठबंधन किया जा सके। साथ ही दूसरी ओर ऐसे नेताओं को लाया जा सके, जिनके पास अपना वोट बैंक या सपोर्ट हो, जो सपा के वोट के साथ मिलकर और फायदा दिला सके। इसी को ‘मैन टू मैन मार्किंग’ रणनीति कहा जा रहा है।
इसी रणनीति के तहत अखिलेश यादव उन छोटी-छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन कर रहे हैं, जिनका एक अपना कोर वोट बैंक है और एक खास इलाके में दबदबा है। जैसे सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल।
इसी तरह से अखिलेश अपनी पार्टी में उन नेताओं को ला रहे हैं जिसके पास अपना हजारों का वोट बैंक हो। जिससे अगर वो उस नेता को टिकट देते हैं तो सपा के वोट बैंक के साथ संबंधित उम्मीदवार का वोट बैंक मिल जाए और चुनाव में जीत को एक तरह से एकतरफा बना दे।
अखिलेश की नजर जिन ऐड-ऑन नेताओं पर रही है, वे कम से कम 3-4 दर्जन सीटों पर राजनीतिक स्थिति को बदल सकते हैं। पिछले एक साल से अखिलेश दूसरी पार्टियों के नेताओं को सपा में ला रहे हैं, जिनका अपना वोटर बेस 10,000-25,000 के बीच है।