अखिलेश यादव की रैलियों में उमड़ती भीड़ पर भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 2017 के विधानसभा चुनावों और 2019 के लोकसभा चुनावों में भी हमसे इस तरह के सवाल किये जाते थे। उस वक्त ‘दो अच्छे लड़कों’ और ‘बुआ-बबुआ’ की रैलियों में भी भीड़ उमड़ती थी लेकिन नतीजों से दूध का दूध और पानी का पानी हो गया था। उन्होंने कहा कि आंकड़ों की बात करें तो 50 फीसदी वोट भारतीय जनता पार्टी को मिले थे, जबकि सपा को 25-26 फीसदी और बसपा को 22 से 23 प्रतिशत और कांग्रेस को 6 फीसदी वोट मिले थे।

समाचार चैनल आजतक के डिबेट शो ‘दंगल’ में एंकर के सवालों का जवाब देते हुए संबित पात्रा ने कहा कि अखिलेश यादव और राहुल गांधी को चुनावी हिंदू करार देते हुए कहा कि विपक्ष जिस तरह विपक्ष आज हिंदू और हिंदुत्व की राजनीति कर रहा है। उसको देखते हुए लगता है कि उत्तर प्रदेश की जनता सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और विकास के साथ आगे बढ़ेगी विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की जनता अब न खानदान के भरेसे और न ही दान के भरोसे किसी बहकावे में आएगी बल्कि राम के भरोसे, नाम के भरोसे और काम के भरोसे पर वोट करेगी।

वहीं समाजवादी पार्टी के नेता राजपाल कश्यप ने इसका जवाब देते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी हिंदू धर्म का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करती है न कि धर्म को फायदा पहुंचाने के लिए, उन्होंने कहा कि सरकार जब भी विकास के मुद्दे पर फंसती है, जब जनता महंगाई से परेशान होती है या बेरोजगारी का सवाल उठता है तो ये धर्म की ढाल ले लेते हैं। सपा नेता ने कहा कि SIT रिपोर्ट में साफ हो गया कि सरकार में बैठे मंत्रियों के बेटे किसानों को कुचल रहे हैं।

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि आज केंद्रीय गृहराज्य मंत्री ने पत्रकारों के साथ जिस तरह का बर्ताव किया है, उससे साफ हो रहा है कि सरकार किस तरह अहंकार में डूबी हुई है। उन्होंने कहा कि किसानों को खाद्य नहीं दे पा रहे हैं, 59 हजार शिक्षक भर्ती के लिए छात्र सरकार के सामने गए तो उन पर लाठीचार्ज करा दिया गया। राजपाल कश्यप के अनुसार, योगी जैसे अयोग्य और घमंडी नेता आज तक उत्तर प्रदेश को नहीं मिला था।

बताते चलें कि चुनावी दौर में सियासी दलों के बीच गहमा गहमी तेज हो गई है। सभी पार्टियां जीत का दंभ भर रही हैं लेकिन असल में सत्ता पर कौन काबिज होगा यह जानने में समय लगेगा, तब तक बयानबाजी का यह सिलसिला जारी रहेगा और सियासी तापमान को यूं ही बढ़ाता रहेगा।