समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सामने अपने इलाके में सपा का पुराना गौरव वापस लाने की चुनौती है, तो भारतीय जनता पार्टी के सामने 2017 के विधानसभा चुनाव का प्रदर्शन दोहराने का कठिन लक्ष्य खड़ा हुआ है। साल 2017 मेें मैनपुरी व इटावा के आसपास समाजवादी पार्टी के गठन के बाद से अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया था। साल 2012 के विधानसभा चुनाव में इस इलाके के जिलों की कुल 28 सीटों में से 26 सीट जीतने वाली समाजवादी पार्टी 2017 के विधानसभा चुनाव में महज छह सीटों पर सिमट गई थी।
अखिलेश यादव एक नई रणनीति के तहत करहल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। मुलायम सिंह यादव का पैतृक गांव सैफई, मैनपुरी, फिरोजाबाद, इटावा,औरैया, एटा,कन्नौज फर्रूखाबाद समेत कई जिलों की राजनीति का केंद्र बिंदु है। इन जिलों की हर विधानसभा सीट पर यादव जाति का बाहुल्य है। इसके अलावा 2017 के विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह परिवार में अंदरूनी विवाद का असर इन जिलों के चुनाव नतीजों पर साफ दिखा था। सैफई से करहल विधानसभा सीट से चुनाव लड़कर अखिलेश यादव सपा समर्थक वोट बैंक को सकारात्मक संदेश देना चाहते हैं।
इसका असर प्रदेश में पश्चिम से पूर्व तक 100 विधानसभा सीटों पर भी पड़ेगा, जहां पर यादव जाति का प्रभाव है। मुलायम परिवार में एकता कायम करने के लिए अखिलेश ने चाचा शिवपाल सिंह को भी साथ ले लिया है। समाजवादी पार्टी के एमएलसी अरविंद यादव कहते हैं कि अखिलेश ने करहल से चुनाव लड़कर सपा संगठन में उत्साह भरा है। आगरा, अलीगढ़, मेरठ से लेकर आजमगढ़-मिजार्पुर मंडल तक सपा के जनाधार में बढ़ोतरी होगी ।
करहल विधानसभा सीट पर सर्वाधिक यादव मतदाता है, इसलिए सपा हमेशा यहां पर यादव जाति के नेताओं को उम्मीदवार बनाती रही है । करहल में करीब 35000 शाक्य, 30000 बघेल और 30000 ठाकुर मतदाता हैं। शाक्य और ठाकुर मतदाता भाजपा का कोर वोट बैंक माना जाता है। बघेल को चुनाव लड़ाने के पीछे भाजपा की रणनीति में गैर यादव ओबीसी मतों का धु्रवीकरण करना है। एसपी सिंह बघेल कभी मुलायम सिंह यादव के करीबी होते थे।
सपा के पुराने गढ़ की अन्य विधानसभा सीटों पर भी भाजपा ने कभी मुलायम के करीबी रहे गैर यादव नेताओं को मैदान में उतारा है। फिरोजाबाद जिले की शिकोहाबाद विधानसभा सीट पर ओम प्रकाश निषाद , सिरसागंज सीट से हरीओम यादव और मैनपुरी की किशनी सुरक्षित सीट पर दलित नेता प्रियरंजन आशु दिवाकर को उम्मीदवार बनाया गया है। मैनपुरी व फिरोजाबाद जिले समेत आसपास की कई विधानसभा सीटों पर भाजपा के पास उम्मीदवार भी नहीं थे, इसलिए उन्होंने दूसरी पार्टियों के नेताओं को अपने दल में शामिल कराया।