दिल्ली के बटला हाउस कांड के बाद सुर्खियों में आए आजमगढ़ जिले के संजरपुर गांव की चुनावी फिजा में इस कांड की न्यायिक जांच का मुद्दा अब उतना अहम नहीं रह गया है।संजरपुर वही गांव है जहां के दो युवक 19 सितंबर 2008 को दिल्ली के चर्चित बटला हाउस कथित मुठभेड़ कांड में मारे गए थे। कैफी आजमी, राहुल सांकृत्यायन, अल्लमा शिब्ली और अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ जैसी हस्तियों की धरती आजमगढ़ को इस घटना के बाद ‘आतंकगढ़’ भी कहा गया था।

स्थानीय निवासी मसीहुद्दीन संजरी ने कहा कि बटला हाउस कांड की वजह से संजरपुर ही नहीं बल्कि पूरे आजमगढ़ की बहुत बदनामी हुई थी लेकिन चुनावी फिजा से अब वह मुद्दा लगभग गायब हो चुका है। उन्होंने कहा कि बटला हाउस कांड में जो लोग मारे गए उनके परिजन के लिए तो यह हमेशा एक बड़ा मुद्दा रहेगा लेकिन भारतीय जनता पार्टी सरकार द्वारा लाए गए संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को लेकर हुए विरोध के दौरान किए गए कथित जुल्म अब ज्यादा बड़े मुद्दे बन गए हैं और बटला हाउस कांड की न्यायिक जांच की मांग का मुद्दा पीछे छूट गया है।

संजरपुर के ग्राम प्रधान मोहम्मद इमदादुल्लाह के बेटे आमिर ने कहा कि संजरपुर के लोग बटला हाउस कांड में अपने बेटों की मौत के मामले की न्यायिक जांच की मांग करते-करते अब थक चुके हैं और उन्हें अब कोई उम्मीद भी नहीं रह गई है, इसलिए यह मामला अब काल की गर्त में लगभग दफन हो चुका है। उन्होंने कहा कि वक्त के साथ चीजों में बदलाव आया है। अब यहां विकास, बेरोजगारी और किसानों की समस्याएं मुख्य मुद्दे बन गए हैं। यहां के नौजवानों के लिए रोजगार का सवाल सबसे बड़ा है।

गौरतलब है कि 19 सितंबर 2008 को दिल्ली के बटला हाउस इलाके में हुई कथित पुलिस मुठभेड़ में संजरपुर निवासी आतिफ और साजिद मारे गए थे तथा कई अन्य को गिरफ्तार किया गया था। इन सभी पर उसी साल 13 सितंबर को दिल्ली में कई स्थानों पर हुए बम धमाकों में हाथ होने का आरोप था। इस घटना में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा भी शहीद हुए थे।

राष्ट्रीय उलमा काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी ने बटला हाउस कांड की न्यायिक जांच की मांग को लेकर व्यापक आंदोलन चलाया था और इस कथित मुठभेड़ के बाद इसके खिलाफ प्रदर्शन के लिए वह पूरी ट्रेन बुक करा कर लोगों को दिल्ली ले गए थे।

संजरपुर गांव आजमगढ़ के निजामाबाद विधानसभा क्षेत्र में आता है। यहां से समाजवादी पार्टी (सपा) ने मौजूदा विधायक आलम बदी को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, भाजपा ने मनोज यादव और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने पीयूष यादव को टिकट दिया है। इसके अलावा, सीएए और एनआरसी के खिलाफ आंदोलन के दौरान सरकार की कार्रवाई का मुखर विरोध करने वाले ‘रिहाई मंच’ के नेता राजीव यादव यहां से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में हैं।