किसान आंदोलन अब स्थगित हो चुका है। तीन कृषि कानूनों को वापस लेने और बाकी मुद्दों पर सरकार के साथ सहमति बनने के बाद किसान वापस अपने घरों की ओर लौट रहे हैं। हालांकि एमएसपी को लेकर किसानों के मन में सरकार के प्रति शंका का भाव बना हुआ है।

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने शुक्रवार को कहा कि जब तक किसान दबाव नहीं बनाएंगे, केंद्र एमएसपी पर कानून नहीं लाएगा। इसके साथ ही टिकैत ने यूपी चुनाव को लेकर कहा कि आचार संहिता लगने के बाद वो इसपर मंथन करेंगे।

टिकैत से जब यह पूछा गया कि अगर सरकार एमएसपी पर कानून पारित नहीं करेगी तो क्या विरोध प्रदर्शन और तेज होगा? इस सवाल के जवाब में उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया- “सरकार ने एमएसपी पर एक समिति बनाने का फैसला किया है। जब तक सरकार में दबाव का भय नहीं होगा, हो सकता है सरकार वादा पूरा ना करे”।

गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा के बाद जिस तरह से राकेश टिकैत ने इस आंदोलन को संभाला और तब पीछे रहने वाले टिकैत अब मुख्यरूप से आंदोलन के नेता के तौर पर दिखते रहे हैं। टिकैत से जब एसकेएम के साथ मतभेद को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने इसे सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा- “हमने हर चीज पर चर्चा की। एसकेएम हमेशा एकजुट था, एकजुट है और रहेगा।”

यह पूछे जाने पर कि क्या वह आगामी यूपी विधानसभा चुनावों में शामिल होंगे, उन्होंने कहा कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद वह फैसला करेंगे। उन्होंने कहा- “जब तक एमसीसी लागू नहीं हो जाता, तब तक राज्य सरकार को अपना काम जारी रखना चाहिए। राज्य सरकार के प्रदर्शन के आंकड़ों के आधार पर हम फैसला करेंगे।”

केंद्रीय राज्य मंत्री (गृह) अजय मिश्रा टेनी के इस्तीफे की एसकेएम की पिछली मांग पर टिकैत ने कोई टिप्पणी नहीं की। बता दें कि बीकेयू सहित लगभग 40 कृषि संगठनों के संघ एसकेएम ने गुरुवार को सरकार से “कई लंबित मांगों पर सहमति” का एक औपचारिक पत्र प्राप्त करने के बाद विरोध को स्थगित कर दिया था। वहीं एमएसपी तय करने के लिए केंद्र ने एक कमेटी भी बनाई है।