प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के संयुक्त निदेशक रहे राजेश्वर सिंह ने 31 जनवरी को घोषणा की कि वह एजेंसी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) के बाद राजनीति में शामिल हो रहे हैं। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति स्वीकार होने के कुछ समय बाद वह भाजपा में शामिल हो गए और भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों 2022 के तहत लखनऊ की विधानसभा सीट सरोजिनीनगर से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) के संयुक्त निदेशक रहे राजेश्वर सिंह का नाम भी उन अधिकारियों में जुड़ गया, जिन्होंने नौकरी छोड़कर राजनीति में कदम रखा। राजेश्वर सिंह ने एक अधिकारी के तौर पर करीब 24 साल सेवा दी और 11 साल का सेवाकाल अभी बाकी था। यूपी पुलिस में सेवा देने से लेकर देश की प्रमुख एजेंसी के संयुक्त निदेशक के पद पर रहे राजेश्वर सिंह एक मजबूत छवि वाले अधिकारी रहे।

यूपी में एक पुलिस अफसर के तौर पर राजेश्वर सिंह ने लंबे समय (1997 से 2007) तक सेवा दी। वह इस दौरान लखनऊ और प्रयागराज में महत्वपूर्ण पदों में रहे और कई माफिया गिरोहों पर नकेल कसी, जिनमें से अतीक अहमद की गिरफ्तारी अहम थी। पुलिस अधिकारी के तौर पर उन्हें वीरता के लिए पदक से भी सम्मानित किया गया। कई लोग तर्क देंगे लेकिन दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून और मानवाधिकार जैसों विषयों में डिग्री वाले राजेश्वर सिंह के नाम करीब दो दर्जन एनकाउंटर दर्ज हैं।

राजेश्वर सिंह का जन्म लखनऊ के एक सिविल सेवकों के परिवार में हुआ। उनके पिता रण बहादुर सिंह स्वयं पुलिस अधिकारी रहे, 12 साल की अवधि के भीतर ही वह यूपी पुलिस अधिकारी से आईपीएस बन गए और फिर लखनऊ के डीआईजी रूप में रिटायर हुए। राजेश्वर सिंह की पत्नी लक्ष्मी सिंह भी आईपीएस अधिकारी हैं और वर्तमान में आईजी रेंज, लखनऊ के पद पर तैनात हैं। सिंह के भाई रामेश्वर सिंह भी एक आईपीएस अधिकारी भी हैं, वर्तमान में आयकर आयुक्त हैं।

राजेश्वर सिंह की दो बहनों में एक आभा सिंह जो पहले भारतीय डाक सेवा में अधिकारी थी और बाद में वकील बनी, उनकी शादी महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस से वकील बने वाई पी सिंह से हुई है। वहीं दूसरी बहन, मीनाक्षी सिंह एक आईआरएस अधिकारी और उनकी शादी यूपी कैडर के आईपीएस अधिकारी राजीव कृष्ण से हुई है, राजीव वर्तमान में एडीजी, आगरा के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

पूर्व में IIT, धनबाद के छात्र रहे राजेश्वर सिंह ने ईडी में 2007 से सहायक निदेशक के रूप में काम किया। यूपीए शासनकाल के लगभग सभी हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच में राजेश्वर सिंह का नाम शामिल रहा। इनमें मधु कोड़ा मामले से सहारा मामले तक, 2G घोटाले से 2010 राष्ट्रमंडल खेलों के मामले और वाईएस जगन मोहन रेड्डी मामले से लेकर कोयला घोटाला तक का नाम शामिल रहा। इन हाई-प्रोफाइल मामलों में आरोपी के रूप में कई राजनेता भी शामिल थे।

भाजपा उम्मीदवार के रूप में राजेश्वर सिंह का लखनऊ की विधानसभा सीट सरोजिनी नगर से नामांकन ऐसे समय में हुआ है, जब चुनावी समय में विपक्षी दल/ नेता ईडी पर तरह-तरह के आरोप लगा रहे हैं। एक केंद्रीय एजेंसी में सेवारत अधिकारी का चुनावी राजनीति में शामिल होने के लिए नौकरी छोड़ देना राजेश्वर सिंह के औचित्य पर सवाल उठाता है। जबकि सीबीआई निदेशकों के सेवानिवृत्ति के बाद राज्यपाल बनने या राजनीति में प्रवेश करने जैसे कई उदाहरण सामने हैं।

राजेश्वर सिंह, साल 2012 के एयरसेल-मैक्सिस सौदा मामले की जांच में भी शामिल थे, इस मामले में आरोपी के रूप में तत्कालीन वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम शामिल था। साल 2014 में देश में सरकार बदली तो सिंह ने वासन हेल्थकेयर में निवेश, आईएनएक्स मीडिया सौदे और राजस्थान एम्बुलेंस योजना में अनियमितताओं के मामले में भी जांचकर्ता की भूमिका निभाई।

हालांकि, कई बार ईडी की धीमी जांच, सही दोषसिद्धि और राजनीतिक हस्तक्षेप के कथित आरोप भी लगाए जाते रहे हैं। ऐसे मामलों में उदाहरण स्वरुप मधु कोड़ा व 2G केस का नाम शामिल रहा। जहां मधु कोड़ा मामले में 10 साल बाद पहली सजा मिली तो वहीं 2G केस में सभी आरोपी बरी हो गए। इसके अलावा, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) में रहे राजेश्वर सिंह कई बार हाई-प्रोफाइल केसों के चलते सुर्ख़ियों में रहे थे।

हाल ही में, ईडी में लखनऊ जोन के प्रमुख के रूप में राजेश्वर सिंह ने कथित मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध खनन के एक मामले में सपा नेता और 2017 की अखिलेश यादव सरकार में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रजापति के खिलाफ जांच का नेतृत्व भी किया था।