आगामी यूपी चुनाव के लिए बीजेपी, सपा और कांग्रेस जोर-शोर से रैलियां और कार्यक्रम करते दिख रहे हैं, लेकिन कुछ साल पहले पूरे उत्तरप्रदेश में राज करने वाली बसपा इन कार्यक्रमों में पीछे ही दिख रही है। इसे लेकर अब बसपा प्रमुख मायावती ने चुप्पी तोड़ दी है। उन्होंने कहा है कि उनके पास रैली करने के पैसे नहीं हैं।
बसपा प्रमुख ने शनिवार को कहा कि चुनाव से पहले जो जनसभायें की जा रही हैं, वह जनता के पैसे और सरकारी कर्मचारियों की भीड़ के बूते की जा रही हैं। मायावती का ये बयान तब आया है जब गृह मंत्री अमित शाह ने एक सभा में उनपर तंज कसते हुए कहा था कि बहनजी डरी हुई हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मायावती पर निशाना साधते हुए कहा था कि वो इसीलिए अभी तक ठंड से बाहर नहीं आई है। शाह ने कहा था- “चुनाव नजदीक है और वह प्रचार के लिए बाहर नहीं आई हैं। ऐसा लगता है कि बहनजी पहले से ही डरी हुई हैं।”
बीजेपी के इन्हीं आरोपों को जवाब देते हुए मायावती ने कहा कि बसपा की कार्यशैली और चुनाव को लेकर तौर-तरीके अलग हैं। हमारी पार्टी किसी दूसरी पार्टी की नकल नहीं करती हैं। बसपा प्रमुख ने कहा- “सत्ता के लोगों को ठंड में जो गर्मी चढ़ी है, वह सरकार के और गरीबों के खजाने की गर्मी है। हमारी पार्टी गरीबों-मजलूमों की पार्टी है, दूसरी पार्टियों की तरह धन्ना सेठों-पूंजीपतियों की पार्टी नहीं है”।
मायावती ने एक प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि जब कांग्रेस और भाजपा सत्ता में होती है, चाहे वह केंद्र में हो या राज्यों में, वे चुनाव से कुछ महीने पहले एक के बाद एक जनसभाएं करते हैं। इसमें आधी भीड़ सरकारी कर्मचारियों की और आधी भीड़ टिकट चाहने वालों की होती हैं। ये सब हमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब जैसे राज्यों में देखने को मिल रहा है।
आगे बसपा प्रमुख ने कहा कि उनकी पार्टी गरीबों और शोषितों की है, पूंजीपतियों की नहीं। हमारे लोग इसके खर्चे उठाने में सक्षम नहीं है।