उत्तराखंड में आगामी 14 फरवरी को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान डाले जाएंगे। वहीं नतीजे 10 मार्च को घोषित होंगे। बता दें कि इस बीच उत्तराखंड में पहाड़ी जिले पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर निर्वाचन क्षेत्र की काफी चर्चा है। दरअसल उत्तराखंड के गठन के बाद आजतक इस सीट पर किसी पुरुष उम्मीदवार को जीत नहीं मिली है।
इस सीट पर लगभग आधी आबादी महिलाओं की: बता दें कि उत्तराखंड में आज तक महिला मंत्री बहुत कम हुई हैं। वहीं साल 2000 में राज्य के गठन के बाद कोई महिला मुख्यमंत्री भी नहीं हुई है। ऐसे में यमकेश्वर विधानसभा सीट पर अलग दिलचस्प रिकॉर्ड है। बता दें कि इस सीट पर हमेशा ही महिला प्रत्याशी की जीत हुई है। गौरतलब है कि इस सीट पर कुल 90,638 मतदाता हैं, जिसमें 42,075 महिलाएं हैं।
अबतक रहा भाजपा का कब्जा: 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव से लेकर 2012 तक भाजपा नेता विजया बर्थवाल ने लगातार तीन बार इस सीट से जीत हासिल की। 2002 में, उन्होंने कांग्रेस की सरोजिनी केंटुरा को 1,447 मतों के अंतर से हराया। 2007 में, उन्होंने कांग्रेस की रेणु बिष्ट को 2,841 मतों से हराया और 2012 में भी आसान जीत हासिल की। इसके अलावा बर्थवाल बी सी खंडूरी और रमेश पोखरियाल निशंक की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहीं।
वहीं 2017 में भाजपा ने यमकेश्वर से पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी की बेटी रितु खंडूरी को टिकट दिया था और उन्होंने यहां से जीत दर्ज की थीं। इस बार बीजेपी ने रेणु बिष्ट को मैदान में उतारा है। बता दें कि 2017 में रेणु बिष्ट ने इस सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था और खंडूरी के बाद उन्हें सबसे ज्यादा वोट मिले थे।
इस बार भाजपा प्रत्याशी रेणु बिष्ट के सामने छह अन्य पुरुष उम्मीदवार हैं। इस चुनाव में भी अगर बिष्ट जीत दर्ज करती हैं तो यमकेश्वर की प्रतिष्ठा ‘महिलाओं के गढ़’ के रूप में बनी रहेगी। दून स्थित विश्लेषक अनूप नौटियाल का कहना है कि, “महिलाएं पहाड़ियों में लोकतंत्र की रीढ़ हैं। 2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान 34 पहाड़ी विधानसभा सीटों में से 33 में पुरुषों की संख्या अधिक है।”
हालांकि उत्तराखंड में ग्राम सभाओं के अलावा, राज्य में मुख्यधारा की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी कम है। वर्तमान में यमकेश्वर में रितु खंडूरी के अलावा उत्तराखंड में सिर्फ चार महिला विधायक हैं।
