उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 2014 के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश का राजनीतिक एजंडा बदल दिया है। योगी का दावा है कि उत्तर प्रदेश में चेहरा, जाति-धर्म देखे बिना सबका साथ, सबका विकास किया गया। उन्होंने कहा कि चुनावी नतीजों के आकलन में सपा को ज्यादा तवज्जो दी जा रही है। सलाह दी कि इस बात का सही आकलन होना चाहिए कि भाजपा के बाद दूसरे नंबर पर कौन सी पार्टी आएगी। हाथरस, उन्नाव से लेकर लखीमपुर तक के सवालों पर योगी का कहना है कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं था तो हर एक घटना को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया। अन्य विधानसभा चुनावों में सितारा प्रचारक के रूप में नहीं जाने को लेकर उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश एक बड़ा राज्य है, इसलिए उन्हें यहां ही वक्त देने के लिए आलाकमान से पूरी छूट मिली। योगी आदित्यनाथ के साथ जनसत्ता के कार्यकारी संपादक मुकेश भारद्वाज की बातचीत के मुख्य अंश।
सवाल : मतदान के दो चरण हो चुके हैं, और चारों तरफ चुनावी आकलन की बाढ़ है। देश की सबसे बड़ी राजनीतिक जमीन की इस लड़ाई के नतीजों को लेकर आपकी क्या उम्मीद है? उस उम्मीद के पूरा होने की कौन सी वजहें देखते हैं?
जवाब : भारतीय जनता पार्टी 2017 की पुनरावृत्ति कर रही है। उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में यह पहली बार होगा कि कोई सरकार पांच साल का अपना कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद उसी प्रचंड बहुमत के साथ फिर से चुनाव जीत कर आ रही है। उत्तर प्रदेश में भाजपा यही नतीजा देने वाली है। हम सूबे में जो कुछ भी करने में सफल हुए हैं उसके पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का नेतृत्व और मार्गदर्शन है। इस उम्मीद का पूरा श्रेय प्रधानमंत्री को देता हूं। उनके मार्गदर्शन में हम लोगों ने वे सारे काम सफलतापूर्वक किए जो हमारा संकल्प था। चाहे वह प्रदेश में सुरक्षा का बेहतर माहौल बनाने का रहा हो, प्रदेश के अंदर कानून का राज स्थापित करने का हो, बुनियादी आधारभूत संरचनाओं के विकास के साथ नागरिकों की उन्नति के हर क्षेत्र में तेजी आई। कल्याणकारी योजनाओं का लाभ हर व्यक्ति तक बिना भेदभाव के उपलब्ध करवाया। इन सबके पीछे प्रधानमंत्री का नेतृत्व है।
सवाल : क्या पार्टी के भीतर भी चुनावी नतीजों को लेकर किसी तरह की असुरक्षा का भाव पैदा नहीं हुआ है?
जवाब : देखिए, मैं कह चुका हूं कि पहले चरण में ही उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के परिणाम तय हो गए हैं। यही रुझान आगे भी रहने वाला है। मैंने चुनाव के पहले कह दिया था कि अस्सी फीसद सीटें भारतीय जनता पार्टी के खाते में आएंगी। आप देखिएगा, दस मार्च को जब चुनाव परिणाम आएंगे तो अस्सी फीसद से ज्यादा सीटें भाजपा जीतेगी।
सवाल : लेकिन वो जो आपने अस्सी फीसद सीटें कही थीं, उसमें कहीं न कहीं अस्सी और बीस वाला एक अनुपात भी आया था?
जवाब : यही मैंने कहा है। अस्सी फीसद सीटें हम तभी जीतेंगे जब अस्सी-बीस होगा। जो लोग विकास का, राष्ट्रवाद का, सुरक्षा का समर्थन करते हैं वे सभी अस्सी फीसद में आते हैं। जो लोग अपराध का, माफियावाद का, अराजकता का, गुंडागर्दी का, भ्रष्टाचार का, आतंकवाद का समर्थन करते हैं वे बीस फीसद में आते हैं। यह लड़ाई शुरू से चली आ रही है और उसी आधार पर मैंने कहा था। यही रुझान चला आ रहा है। दस मार्च को यही रुझान नतीजों में परिवर्तित होगा।
सवाल : पिछले काफी समय से जहां भी चुनाव हुआ है आप वहां भाजपा के सितारा प्रचारकों में से रहे हैं। प्रचार मैदान में आपके आते ही माहौल बदल जाता है और केंद्र में आप आ जाते हैं। हर राज्य के चुनाव प्रचार में भाजपा के उम्मीदवारों और कार्यकर्ताओं को आपसे उम्मीद रहती है। लेकिन अभी आपको अपना पूरा समय उत्तर प्रदेश को देना पड़ रहा है। बाकी जगहों पर आपकी कमी का क्या असर पड़ा? इसे लेकर आपके पास शिकायत भी आ रही होगी?
जवाब : देखिए, भारतीय जनता पार्टी एक बड़ा परिवार है। मैं इस परिवार का एक छोटा सदस्य हूं। इस पूरे अभियान को नेतृत्व देते हैं प्रधानमंत्री मोदी जी। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में देश के अंदर राष्ट्रीय अध्यक्ष जी की, गृह मंत्री जी की, रक्षा मंत्री जी की भरपूर मांग होती है। ये सभी वरिष्ठ जन प्रचार के लिए जाते हैं। मुझसे भी कई जगहों के लिए कहा गया था। मैंने उत्तराखंड में कुछ सीटों के लिए प्रचार किया भी। लेकिन उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है। इस नाते मेरी व्यस्तता को देखते हुए पार्टी ने मुझे यहां छूट दी।

सवाल : आपको आम तौर पर किसी भी चुनाव में पासा पलटने वाला माना जाता है। आपके आते ही उन्हीं मुद्दों पर माहौल गर्म हो जाता है जो आप तय करते हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश के चुनाव में एक आमद ऐसी हुई है जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वे माहौल बदल देंगे। मुलायम सिंह यादव गुरुवार को पहली बार करहल पहुंचे। उनकी मौजूदगी को आप किस तरह देखते हैं?
जवाब : आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि मुलायम सिंह जी को यह भी नहीं मालूम कि करहल से सपा का प्रत्याशी कौन है। अब जब यह स्थिति आ जाए कि पिता को न मालूम हो कि मेरा ही पुत्र फलां जगह से चुनाव लड़ रहा है तो अनुमान कर सकते हैं कि करहल में सपा प्रत्याशी का जनता से कितना संवाद हुआ होगा।
सवाल : आप के चुनावी भाषणों में कानून व प्रशासन पर खासा जोर रहा है। मुझे उत्तर प्रदेश के इलाकों में आम लोगों से बातचीत का मौका मिला। आम लोग भी ये बात मानते हैं। प्रधानमंत्री ने भी उत्तर प्रदेश को लेकर कहा कि माफिया माफी मांग रहे हैं और अपराधी यूपी छोड़ गए। इन सबके बावजूद विपक्ष इसी कानून व प्रशासन के मुद्दे पर ही आपको सबसे ज्यादा घेरता है। हाथरस, उन्नाव और लखीमपुर खीरी विपक्ष के सवालों में रहे हैं। आखिर ये घटनाएं इतनी बड़ी कैसे हो गईं कि बाकी का सारा काम पीछे रह जाता है?
जवाब : देखिए, 2017 के पहले प्रदेश में जो अपराध था वह सत्ता प्रायोजित था। अपराधी को, माफिया को, सत्ता का सीधे-सीधे संरक्षण प्राप्त होता था। 2017 में भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन की सरकार आने के बाद अपराध को नियंत्रित किया गया। अगर कहीं पर किसी ने अपराध किया, कानून को बंधक बनाने का प्रयास किया तो सरकार ने बिना चेहरा देखे कठोरतापूर्वक कार्रवाई की है। यही हमारे प्रति जनविश्वास का प्रतीक रहा। यह अलग विषय है कि जब विपक्ष को उत्तर प्रदेश के अंदर कोई मुद्दा नहीं मिलता था तो इस तरह की घटना को बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत किया जाता रहा है। सूबे के अंदर हम लोगों ने जो भी किया, वो नियमानुसार किया है।
सवाल : इस चुनाव में सांप्रदायिक मुद्दे बाकी सारी मुद्दों पर भारी पड़ गए हैं। आम बुनियादी सवालों को लेकर कम बात हो रही है। क्या आपको लगता है कि भ्रष्टाचार, रोजगार और सबसे अहम स्वास्थ्य जैसे मुद्दे को आप लोगों तक पहुंचा पाए?
जवाब : देखिए, चुनाव को सांप्रदायिक रूप देने का पूरा प्रयास समाजवादी पार्टी ने किया। जब हम गन्ना की बात करते थे तो वे जिन्ना की बात करते थे। जब हम लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जयंती के कार्यक्रम 31 अक्तूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मना रहे थे तब उन्होंने जिन्ना को महिमामंडित करना शुरू कर दिया था। जब हम विकास की बात करते हैं तो वो पाकिस्तान की बात करते हैं। यह सब उन्होंने शुरू किया। अब स्वाभाविक रूप से हमें इसका जवाब तो देना था। अन्यथा विकास कार्यों, लोककल्याणकारी कार्यों व स्वास्थ्य क्षेत्र के ढांचागत सुधार के लिए जितना काम हमारी डबल इंजन की सरकार ने पिछले पांच साल में किया, इसके पहले कभी नहीं हुआ था।
सवाल : आपने उत्तर प्रदेश के लोगों को सूबे में ही रोजगार देने की बात की। देश के अन्य प्रदेशों में भी उत्तर प्रदेश के लोगों का बड़ा योगदान रहता है। उत्तर प्रदेश के बहुत से लोग जीवनयापन के लिए बाहर जाते हैं। ऐसे में जब एक दूसरे राज्य के मुख्यमंत्री ये कहते हैं कि ‘यूपी के भैयों को राज नहीं करने देना’ तो उसके पीछे क्या डर छुपा हो सकता है?
जवाब : देखिए, यह बयान दुर्भाग्यपूर्ण है। यह दिखाता है कि कांग्रेस जिस नकारात्मक राजनीति को लगातार कर रही है वो खुल कर सामने आ गई है। कांग्रेस जैसा राजनीतिक दल इस देश को कितना जख्म देगा यह वास्तव में चिंताजनक है। अपने स्वार्थ के लिए देश को जातिवाद, क्षेत्रवाद, भाषावाद, नक्सलवाद, अलगाववाद, आतंकवाद के जख्म कांग्रेस ने ही दिए हैं। श्रीमान चन्नी का बयान इन जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है।
सवाल : राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी का उदय हुआ तो राजनीति में विरासत बड़ा मुद्दा थी। उत्तर प्रदेश में भी यह समस्या है। वंशवाद का मसला कितना प्रभावित करेगा इस चुनाव को?
जवाब : देखिए, 2014 में प्रधानमंत्री मोदी जी ने देश की राजनीति के पूरे एजंडे को बदल दिया है। अब जातिवाद, परिवारवाद, वंशवाद की राजनीति नहीं चलेगी। भारतीय जनता पार्टी देश के अंदर विकास, सुशासन और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर ही जनता जनार्दन का समर्थन और सहयोग हासिल कर रही है। यही मुद्दे आनेवाले समय में प्रभावी रहेंगे, ऐसा मेरा मानना है।
सवाल: पांच साल में ऐसा कोई मलाल रहा कि उत्तर प्रदेश के लिए मैं ये करना चाहता था, नहीं कर सका? जीत की उम्मीद में आनेवाले समय को कैसे देखते हैं?
जवाब : देखिए, जैसे देश की व्यवस्था को संचालित करने के लिए एक संविधान होता है, वैसे ही सरकार की व्यवस्था को संचालित करने के लिए संविधान के प्रति पूरी निष्ठा व्यक्त करते हुए हमारे पास अपना घोषणापत्र होता है। भारतीय जनता पार्टी ने इसे ‘लोककल्याण संकल्प पत्र’ कहा। हमलोगों ने 2017 में अपने ‘लोककल्याण संकल्प पत्र’ में जिन बातों का उल्लेख किया था और जो वादे प्रदेश की जनता से किए थे उसे अक्षरश: पूरा किया है। पूरी ईमानदारी व पूरी प्रतिबद्धता के साथ हम जुटे रहे। इसके बाद किसी तरह का पश्चाताप कहां से हो सकता है? हमने 2022 के लिए ‘लोककल्याण संकल्प पत्र’ जारी कर दिया है। एक-एक मुद्दे को हमलोगों ने बैठ कर तय किया है। मेरा मानना है कि भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन की सरकार आगे के लिए किए सभी वादों को भी पूरा करेगी।
सवाल : समाजवादी और भाजपा के अलावा जो बाकी अन्य दलों के खिलाड़ी हैं उन्हें आप कहां देखते हैं इस चुनाव में?
जवाब : मेरा मानना है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ सपा-बसपा-कांग्रेस, और सभी छुटभैये एक साथ मिल कर लड़ रहे थे। जब नतीजा आया तो भारतीय जनता पार्टी प्रचंड बहुमत के साथ जीती। दस सीटों के साथ दूसरी जगह बसपा ने पाई थी। उससे कम सपा ने हासिल किया था। अभी तो मुझे सपा लड़ाई में ही नहीं दिख रही है। सपा अगर लड़ाई में होती तो उसे दूसरों की बैसाखी की जरूरत क्या थी फिर? कभी कांग्रेस से, रालोद से, कभी बसपा से गठबंधन। उसमें एक छटपटाहट दिखती है किसी तरह सत्ता में आ जाने की। इन परिवारवादियों और अवसरवादियों को प्रदेश की जनता स्वीकार करने को तैयार नहीं है। मुझे लगता है, इसका सही आकलन करना चाहिए कि प्रदेश में दूसरे नंबर पर कौन है।
सवाल : एक नए खिलाड़ी भी सामने आए हैं असदुद्दीन ओवैसी। उत्तर प्रदेश के चुनाव में उनका आकलन किस तरह करते हैं?
जवाब : देखिए, उनका एक व्यापक जनाधार है। वे अपने उस व्यापक जनाधार के आधार पर चुनावी मैदान में हैं।
सवाल : क्या करहल उत्तर प्रदेश का नंदीग्राम हो सकता है?
जवाब : देखिए, करहल में भारतीय जनता पार्टी जीतेगी। करहल में सपा के द्वारा जिस प्रकार की गुंडागर्दी की जा रही है चुनाव आयोग को इसका संज्ञान लेना चाहिए। यह सब उनकी संभावित हार की बौखलाहट को ही प्रदर्शित करता है।
सवाल : विपक्ष का आरोप है कि आपके नेतृत्व में चुनावी मुहिम शुरू होती है तो आपके जरिए एक डर पैदा करने की कोशिश होती है। आप प्रदेश के अल्पसंख्यकों के लिए क्या संदेश देना चाहते हैं?
जवाब : हमारे पांच साल के कार्यकाल को प्रदेश की जनता ने देखा है। हमने कानून के राज की बात कही है। मेरी कार्यपद्धति से हर व्यक्ति वाकिफ है। यहां चेहरा, जाति और मजहब देख कर नहीं बल्कि सबका साथ, सबका विकास के भाव के साथ काम होता है। हम लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी जी के मंत्र को पूरे प्रभावी ढंग से यहां पर लागू किया है। इसमें भय और दहशत का माहौल कहां से हो जाता है।
सवाल : लेकिन छवि तो भय की ही पैदा की जाती है?
जवाब : देखिए, छवि उस व्यक्ति के बारे में खड़ी की जाती है जिसकी कार्यपद्धति के बारे में जानकारी नहीं होती है। मेरी कार्यपद्धति से तो यहां का बच्चा-बच्चा वाकिफ है। मैं कह सकता हूं कि मुसलिम महिलाओं और बेटियों ने भारतीय जनता पार्टी के लिए खुलकर मतदान किया है। पहले दो चरणों में वे खुल कर हमारे पक्ष में आई हैं। ऐसा इसलिए कि उन्हें सुरक्षा भाजपा की डबल इंजन सरकार ने दी है। उन्हें सम्मान भाजपा ने दिया है। तीन तलाक का मामला हो चाहे घर-गृहस्थी की व्यवस्था संचालित करने का। उस समुदाय में गरीबी ज्यादा है। उस गरीबी में कोरोना काल खंड में मुफ्त राशन, मुफ्त इलाज, मुफ्त टीकाकरण का काम तो भाजपा की डबल इंजन सरकार ने ही किया है। उत्तर प्रदेश में साढ़े 43 लाख गरीबों को एक-एक आवास उत्तर प्रदेश में मिले हैं। कोई यह नहीं कह सकता कि यह सब चेहरा देख कर दिया है। विकास सबका, सम्मान सबको, सुरक्षा सबको। तुष्टीकरण किसी का भी नहीं। यही गारंटी आनेवाले पांच साल के लिए भी है।
सवाल : डर से तो आपके वस्त्र को भी जोड़ा जाता है?
जवाब : मैं क्या करूं। यह डर पैदा करने वाला वस्त्र नहीं है। यह तो सुरक्षा और संरक्षण देनेवाला वस्त्र है। ”
महंत से मुख्यमंत्री तक बनने का सफर:
योगी आदित्यनाथ सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। आदित्यनाथ का जन्म 5 जून, 1972 को उत्तर प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र में हुआ था जो अब उत्तराखंड है। गोरखपुर में संत गोरखनाथ के नाम पर बने मठ के सदस्य बनने से पहले योगी आदित्यनाथ का नाम अजय सिंह बिष्ट था। वे विज्ञान वर्ग से स्नातक हैं। आदित्यनाथ ने राजनीतिक विरासत अपने गुरु महंत अवैद्यनाथ से पाई। योगी के मठ का सदस्य बनने के पांच वर्ष बाद अवैद्यनाथ ने सक्रिय राजनीति से संन्यास लिया और 1998 में युवा योगी आदित्यनाथ को पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ने का अवसर दिया। मुख्यमंत्री बनने से पहले योगी 1998 में पहली बार 26 साल की उम्र में गोरखपुर से संसद पहुंचने वाले सबसे युवा सांसद रहे।
उन्होंने 12वीं लोकसभा से लेकर 16वीं लोकसभा तक लगातार 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में संसद में अपनी सीट पक्की की। वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी जीत का तमगा हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें अचानक गोरखपुर से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ भेज दिया और मुख्यमंत्री की कुर्सी दी। योगी आदित्यनाथ ने हिंदुत्व की राजनीति खुलकर की और अपनी खास तरह की शैली विकसित की। फिलहाल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री दक्षिण के मैदान तक मुद्दों को गढ़ते और उस पर आगे चलते हैं। योगी की तारीफ की जाती है, जमकर आलोचना होती है, और इन सबका हासिल है कि फिलवक्त देश की राजनीति की धुरी के रूप में खुद को स्थापित कर चुके हैं।