उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के चौथे चरण का मतदान 23 फरवरी को होगा। इस चरण में गांधी परिवार के उत्तर प्रदेश में इकलौते गढ़ रायबरेली में भी चुनाव होना है। चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी भी रायबरेली में काफी एक्टिव दिखाई दे रही है। बीते दिनों चुनावी अभियान से नदारद रही सोनिया गांधी ने भी एक वीडियो जारी किया। वीडियो में सोनिया गांधी ने कहा भाजपा सरकार ने किसानों से लेकर युवाओं तक के लिए कुछ नहीं किया। आवारा पशु और बढ़ती हुई महंगाई एक बहुत बड़ी समस्या है। बीजेपी सिर्फ लोगों को बांटने का काम करती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि “यह चुनाव आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण चुनाव है।”
सोनिया गांधी का यह संदेश रायबरेली के मतदाताओं तक कितना पहुंचता है यह आने वाला चुनाव का नतीजा ही बताएगा। लेकिन जमीन पर स्थिति कुछ अलग ही दिखाई देती है। रायबरेली से 2017 में जीते हुए दोनों कांग्रेस के विधायक अब भाजपा में जा चुके हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेता अखिलेश सिंह की बेटी अदिति सिंह जो 2017 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीती थी। अब 2022 में भाजपा के टिकट पर रायबरेली से चुनाव लड़ रही है। हरचंदपुर से 2017 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते राकेश सिंह बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। अब 2022 में भाजपा के टिकट पर हरचंदपुर से चुनाव लड़ रहे हैं।
रायबरेली के मतदाताओं का उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर कहना है वे गांधी परिवार का पूरा सम्मान करते हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में “वह उसी पार्टी को जिताएंगे, जो प्रदेश में सरकार बना पाए।”
403 सीटों पर उम्मीदवार: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की कमान इस बार प्रियंका गांधी के हाथों में है। प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए कैंपेन की दिशा तय करने के साथ-साथ, किस प्रत्याशी को टिकट देना है इसमें भी बड़ी भूमिका निभा रही है। उनके द्वारा 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को दिए गए हैं। कांग्रेस के उम्मीदवारों में वह महिला भी शामिल है जिन्होंने किसी ना किसी प्रकार से संघर्ष किया है। इसमें उन्नाव के रेप पीड़िता की मां से लेकर सीएए के खिलाफ जेल से ही आंदोलन चलाने वाले और वेतन के लिए लड़ने वाली हेल्थ वर्कर भी शामिल है।
अन्य पार्टियों का कहना है कि कांग्रेस ने यह रास्ता उम्मीदवारों की कमी के कारण चुना है। हाल ही में उत्तर प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता पार्टी छोड़कर अन्य पार्टियों में जा चुके हैं। हालांकि पार्टी के बड़े नेताओं को यह उम्मीद है कि इस बार उत्तर प्रदेश में कांग्रेस नए उम्मीदवारों के साथ पहले से अच्छा प्रदर्शन करेगी।
रायबरेली में घटता कांग्रेस का ग्राफ: रायबरेली जिले में 6 विधानसभा आती हैं। 2007 के विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस केंद्र में सत्ता में थी, रायबरेली की 6 में से 5 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। 2012 विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ने 6 में से 5 सीटों पर जीत दर्ज की। जबकि 2017 के विधानसभा चुनावों में जब राज्य में भाजपा की सरकार बनी तो 6 में से 4 सीटों पर भाजपा और 2 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। इस तरह देखा जाए तो 2007 के बाद से ही कांग्रेस की पकड़ रायबरेली पर धीरे-धीरे कमजोर होती जा रही है।
जबकि स्थानीय लोगों के मुताबिक, इस बार के विधानसभा चुनावों में बछरावां सीट पर अपना दल के विधायक के खिलाफ एंटी-इनकंबेंसी होने के चलते, लोग इस बार कांग्रेस के उम्मीदवार सुशील पासी को मौका दे सकते हैं।
रायबरेली शहर में आटा चक्की चलाने वाले सतीश चंद्रा का कहना है कि रायबरेली सदर पर कांग्रेस से भाजपा में आई अदिति सिंह और समाजवादी पार्टी के आर पी यादव में कड़ी टक्कर है। कांग्रेस ने इस सीट से डॉ मनीष सिंह चौहान को टिकट दिया है।
हरचंदपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने हरिकेश सिंह भदौरिया को टिकट दिया है। उनके सामने कांग्रेस से भाजपा में गए वर्तमान विधायक राकेश सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। लोगों का कहना है कि “सोनिया गांधी जी के लिए उनके दिलों में बहुत सम्मान है।” लेकिन यहां लड़ाई केवल समाजवादी पार्टी और भाजपा में है। लोगों के मुताबिक “कांग्रेस की जमीन पहले के मुकाबले कुछ बेहतर होगी।”
ऊंचाहार विधानसभा क्षेत्र भी रायबरेली जिले में आता है। ऊंचाहार से ही स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहे थे। यहां से समाजवादी पार्टी ने वर्तमान विधायक मनोज पांडे पर ही भरोसा जताया है।