Lok Sabha Election: बिहार की मधेपुरा संसदीय सीट पर साल 1993 में उप चुनाव हो रहे थे। जनता दल के तत्कालीन महासचिव शरद यादव चुनावी अखाड़े में थे। उनके खिलाफ कांग्रेस के उम्मीदवार भी मैदान में डटे हुए थे जिनका चुनाव प्रचार करने दिल्ली से तत्कालीन केंद्रीय दूर संचार मंत्री राजेश पायलट पहुंचे थे। पायलट तब मधेपुरा के मुरलीगंज इलाके में चुनाव प्रचार कर रहे थे लेकिन जन संपर्क अभियान करते-करते उन्हें देर हो गई और अंधेरा छा गया। इस दौरान सहरसा हवाई अड्डे पर उनका विमान चालक दल के साथ इंतजार कर रहा था। देर होता देख आनन-फानन में राजेश पायलट ने चुनावी सभा समाप्त की और सहरसा हवाई अड्डे पर पहुंचे ताकि नई दिल्ली के लिए उड़ान भर सकें। लेकिन तब प्लेन के पायलट ने उड़ान भरने से इनकार कर दिया और कहा कि अंधेरा होने की वजह से रनवे साफ-साफ नहीं दिख रहा है।
राजेश पायलट खुद स्कवाड्रन लीडर रह चुके थे। यानी पायलट रह चुके थे। लिहाजा, उन्होंने मौके की नजाकत को भांपते हुए तुरंत कांग्रेस और युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से जल्द से जस्द कुछ वाहन लाने को कहा था। इसके बाद कांग्रेस कार्यकर्ता नजदीकी बस स्टैंड से करीब तीन दर्जन छोटी-बड़ी गाड़ियां लेकर आ पहुंचे। राजेश पायलट ने उन सभी गाड़ियों को रनवे के किनारे एक सीधी लाइन में खड़ा करवा दिया और हेडलाइट जलाने के कहा। इतनी गाड़ियों की हेडलाइट एक साथ जलने से सहरसा हवाई अड्डा का रनवे रोशनी से जगमग हो उठा। इसके बाद पायलट ने प्लेन टेक ऑफ करवाया।
‘हिन्दुस्तान’ के मुताबिक तब के कांग्रेस महासचिव ताराचंद सादा की जीप चलाकर पायलट खुद सहरसा से मुरलीगंज गए थे। वापसी में भी राजेश पायलट ने ही जीप ड्राइव की थी। बता दें कि राजेश पायलट का असली नाम राजेश बिधूड़ी था। उन्होंने राजीव गांधी से प्रभावित होकर वायु सेना की नौकरी छोड़कर राजनीति में प्रवेश किया था। राजीव गांधी की सरकार में वो सड़क परिवहन मंत्री थे। उसके बाद नरसिम्हा राव की सरकार में दूरसंचार मंत्री, आंतरिक सुरक्षा मंत्री और सड़क परिवहन मंत्री की भी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। 11 जून 2000 को जयपुर के पास एक सड़क दुर्घटना में उनकी मौत हो गई थी।