बीती 23 जून को बिहार की राजधानी पटना में हुई विपक्षी दलों की मीटिंग के बाद सियासी पारा बढ़ा हुआ है। इस मीटिंग के बाद प्रेस वार्ता में विपक्षी नेताओं के बीच अच्छी केमेस्ट्री देखने को मिली। 2014 में नरेंद्र मोदी के देश के सत्ता संभालने के बाद यह यह विपक्ष का सबसे बड़ा जमघट था। आम आदमी पार्टी को छोड़कर तकरीबन सभी दलों के नेताओं ने माना कि मीटिंग सकारात्मक थी और शुरुआत अच्छी रही।
विपक्ष की इस मीटिंग में BRS के नेता के. चंद्रशेखर राव को बुलाया नहीं गया था। शायद उन्हें बुलाया जाता तो भी वो इस मीटिंग में नहीं आते। KCR कुछ समय पहले तक खुद के पक्ष में हवा बनाने के लिए नेताओं से मिल रहे थे। हाल फिलहाल में ही उन्होंने कई राज्यों में अकेले चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं।
इसी तरह से बीजेडी के नवीन पटनायक, जेडीएस के एचडी देवेगौड़ा, बीएसपी की मायावती और YSRCP के वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी ने विपक्ष और बीजेपी दोनों मोर्चों से समान दूरी बनाए रखने के स्पष्ट संकेत दे दिए हैं। हालांकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दावा किया है कि आने वाले दिनों में और भी पार्टियां विपक्षी फ्रंट में शामिल होंगी।
विपक्षी कुनबा बेशक बढ़ जाए लेकिन आने वाले दिनों में इसके भीतर ही बड़े-बड़े चैलेंज भी नजर आने वाले हैं। तीन राज्यों को लेकर तो चर्चाएं भी बहुत ज्यादा हैं। कहा जा रहा है कि पश्चिम बंगाल, पंजाब औऱ उत्तर प्रदेश में विपक्षी एकजुट बनाए रखना बहुत बड़ा टास्क होगा। पश्चिम बंगाल में जहां टीएमसी का शासन है तो वहीं पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है और यूपी में सपा सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है।
ममता ने भले ही पटना मीटिंग में एकसाथ चुनाव लड़ने की बात की हो लेकिन वह और उनकी पार्टी लगातार बंगाल में कांग्रेस पर हमले बोल रही है। कांग्रेस अधीर रंजन चौधरी भी इसी तरह से टीएमसी पर आक्रामक हैं। पंचायत चुनाव में टीएमसी को विपक्षी मीटिंग में शामिल हुई कांग्रेस और सीपीआई (एम) से भी टक्कर मिल रही है।
बात अगर यूपी की करें तो यहां सपा 2017 चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर नुकसान करवा चुकी है। यूपी में दोनों दलों के संबंध खास अच्छे नहीं हैं। नेताजी के जमाने से सपा कांग्रेस के गढ़- रायबरेली और अमेठी में प्रत्याशी उतारने से बचती रही है। सपा इस बार भी ऐसा कर सकती है लेकिन अन्य सीटों पर क्या राय बनेगी यह देखने लायक होगा।
पंजाब में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर किया है। दिल्ली में आप ने ही दो बार कांग्रेस का बुरी तरह से हराया है। पटना मीटिंग के बाद से आम आदमी पार्टी लगातार कांग्रेस के खिलाफ बयानबाजी कर रही है। ऐसे में जानकारों का मानना है कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच में कोई डील हुई तो यह चौंकाने वाला होगा।
पटना मीटिंग के बाद से यह स्पष्ट संदेश आया है कि विपक्षी पार्टियों में सबसे बड़ी कांग्रेस ही यह तय करेगी कि इस गुट में किसको शामिल किया जाए और विपक्षी गठबंधन का भविष्य कैसा हो। प्रेस कॉन्फ्रेस के दौरान राजद प्रमुख लालू यादव ने कहा कि कांग्रेस को “बड़ा दिल” दिखाना चाहिए और हर राज्य में सबसे बड़ी पार्टी को उस राज्य में लड़ाई का नेतृत्व करना चाहिए, अन्य लोगों को समर्थन और सहयोग देना चाहिए।
कुछ ऐसी बात ममता बनर्जी ने कही। उन्होंने कहा कि कांग्रेस उन राज्यों में अन्य दलों के समर्थन पर भरोसा कर सकती है, जहां वे मजबूत हैं। अब बंगाल में यह देखने लायक होगा कि कांग्रेस टीएमसी के इस बयान पर बड़ा दिल दिखाती है या नहीं… और ऐसा न होने पर टीएमसी किस तरह से बर्ताव करती है।
TMC को कांग्रेस औऱ वामदलों से मिल सकता है चैलेंज
टीएमसी द्वारा तीसरी बार बंगाल चुनाव जीतने के बाद से ही राज्य में सभी लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़े जाने की बात कही जाती रही है। इतना ही नहीं, वह अन्य राज्यों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराकर नेशनल लेवल की राजनीति में भी हस्तक्षेप करना चाहती है। बंगाल में ममता को कांग्रेस के अलावा सीपीआई (एम) की तरफ से भी विरोध झेलना पड़ता है। ऐसे में विपक्षी गठबंधन बंगाल में क्या व्यवस्था करता है, ये देखने लायक होगा।
यूपी में कांग्रेस-बीएसपी के गठबंधन की सुगबुगाहट
यूपी में सपा अब अकेले चुनाव लड़ने की बात से पीछे हटी है। हालांकि सपा चाहती है कि कांग्रेस उसे राज्य में सबसे बड़ी विपक्षी ताकत माने। इस बीच यूपी में बीएसपी और कांग्रेस गठबंधन की चर्चाएं भी चल रही हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि मायावती विपक्षी खेमें की हर चाल पर नजर रखे हुए हैं। ऐसे में वह भी अकेले चुनाव लड़ने के अपने फैसले को बदलकर गठबंधन में चुनाव लड़ सकती हैं।
AAP का साथ नहीं चाहती दिल्ली और पंजाब की कांग्रेस
आम आदमी पार्टी शासित पंजाब और दिल्ली में हालात और भी ज्यादा नाजुक हैं। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि आप दिल्ली में गठबंधन के लिए तैयार है जबकि कांग्रेस पंजाब को लेकर आत्मविश्वास में है। हालांकि पटना मीटिंग के बाद से आम आदमी पार्टी लगातार कांग्रेस पर हमले बोल रही है। कांग्रेस की भी दिल्ली औऱ पंजाब की इकाइयां भी आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन का विरोध कर चुकी हैं।
हालांकि विपक्षी खेमे में इस बात को लेकर सभी राजी हैं कि बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए उन्हें आपस में ‘कुछ समझौते’ करने होंगे और वे इसके लिए तैयार भी हैं। विपक्ष दलों से संबंध रखने वाले एक गैर कांग्रेसी नेता ने कहा कि यह एक बड़ा युद्ध है। हमें चैलेंज पता है। कुछ समझौते होंगे और हम एकता बरकरार रखने में सफल होंगे।