पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने कथित तौर पर योगी आदित्यनाथ को लेकर सर्वे करवाया है। टीएमसी सांसद डेरेन ओ ब्रायन ने कहा कि जहां-जहां योगी प्रचार के लिए गए वहां भाजपा 72 प्रतिशत सीट हार गई। इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्टर राकेश सिन्हा ने टीएमसी सांसद से पूछा, “भाजपा यह आरोप लगाती है कि आप उनके नेताओं के हेलिकॉप्टर को बंगाल में नहीं उतरने देते हैं?” इसके जवाब में ब्रायन ने कहा, “हमने सर्वे किए हैं। हमने पाया कि जहां-जहां योगी आदित्यनाथ ने प्रचार किया है, वहां 72 प्रतिशत सीट भाजपा हार गई। हम क्यों नहीं चाहेंगे कि योगी आदित्यनाथ बंगाल की धरती पर आएं? हमारे पर इस बात को साबित करने के लिए काफी ज्यादा डेटा है कि भाजपा नेता जो बिना ट्रांसलेटर के दिल्ली या कहीं अन्य जगह से आते हैं, वे तृणमूल कांग्रेस का वोट बढ़ाने में मदद करते हैं। वे यहां की सभ्यता और संस्कृति को नहीं समझते हैं। वे यहां जिस तरह का माहौल बनाना चाहते हैं, वैसा कुछ नहीं है।”

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्टर अबंतिका घोष ने टीएमसी सांसद से पूछा, “ऐसा क्या हुआ कि ममता बनर्जी कोलकाता पुलिस कमिश्नर के लिए तीन दिन धरने पर बैठ गई?” इसके जवाब में डेरेन ओ ब्रायन ने कहा, “इसे समझने के लिए मैँ अपको कुछ समय पहले ले जाना चाहता हूं जब अखिलेश यादव और मायावती ने गठबंधन की घोषणा की थी। कुछ ही घंटों पर सीबीआई का रेड शुरू हो गया। इससे पहले सीबीआई ने टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू के वरिष्ठ सांसद को प्रताडि़त किया। अरविदं केजरीवाल को भी सीबीआई के माध्यम से परेशान किया गया। एक बार नहीं, बल्कि कई बार कांग्रेस नेताओं को सीबीआई के माध्यम से परेशान करने की कोशिश की गई।”

सांसद ने आगे कहा, “मुझे यह नहीं लगता कि ये सब भाजपा या सीबीआई ने किया है। मुझे यह लगता है कि ये सब अमित शाह और नरेंद्र मोदी का किया हुआ है। ये दोनों कुछ भी कर सकते हैं। उन्होंने देखा कि उनके आंतरिक सर्वे में आगामी लोकसभा चुनाव में 150 से 160 सीटें मिल रही है। कोलकाता में 41 सीबीआई अधिकारी आए और यह भूल गए कि राजीव कुमार कोलकाता पुलिस कमिश्नर हैं। 2014 से 2019 के बीच कुछ नहीं हुआ। लेकिन चुनाव से कछ समय पहले यह सब किया गया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी धरना पर इसलिए बैठी ताकि प्रशासन को समर्थन मिले। वे राज्य की गृह मंत्री भी हैं। यह ऐसा सिर्फ बंगाल के अधिकारियों के समर्थन के लिए नहीं, बल्कि सभी आईएएस और आईपीएफ अफसरों के समर्थन के लिए किया, जिन्होंने मोदी और शाह की नीतियों का विरोध करने के बाद निशाना बनाया जा रहा है।”