टाटा समूह की कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ने मार्च के खत्म हुए साल की अंतिम तिमाही में 220 करोड़ रुपये चुनावी चंदा दिया है। कंपनी की तरफ से यह राशि इलेक्टोरल ट्रस्ट में जमा कराई गई है। कंपनी ने चंदे की इस राशि को अपने लाभ और हानि खाते के अन्य खर्चों की मद में दर्शाया है।
माना जा रहा है कि यह कंपनी की तरफ से दिया गया अब तक के सबसे अधिक चंदे में से एक है। हालांकि, इसमें यह स्पष्ट नहीं है कि इस चंदे का लाभ किस पार्टी को मिलेगा। टीसीएस समेत टाटा समूह की कंपनियां पहलेभी इलेक्टोरल ट्रस्ट में चंदा देती रही हैं। टीसीएस ने इससे पहले प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट में चंदा दिया था।
इस ट्रस्ट की स्थापना साल 2013 में टाटा ट्रस्ट ने की थी। इस ट्रस्ट ने कई राजनीतिक दलों को चंदा दिया था। 1 अप्रैल 2013 से लेकर 31 मार्च 2016 के बीच इस ट्रस्ट ने सबसे अधिक चंदा कांग्रेस को दिया था। इसके बाद बीजू जनता दल का स्थान था। इस अवधि के दौरान टीसीएस ने सिर्फ 1.5 करोड़ रुपये का योगदान दिया था।
भारत में कई इलेक्टोरल ट्रस्ट हैं जो राजनीतिक दलों और कारोबारियों के बीच कड़ी की भूमिका निभाते हैं। भारतीय निर्वाचन आयोग की दी गई हालिया वार्षिक जानकारी के अनुसार टाटा के प्रोग्रोसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट ने यह जानकारी दी कि ट्रस्ट ने साल 2017-18 के बीच किसी भी राजनीतिक दल को चंदा नहीं दिया। ट्रस्ट का 54,844 रुपये का घाटा था। प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट को देश का सबसे बड़ा इलेक्टोरल ट्रस्ट माना जाता है।
इस ट्रस्ट में भारती ग्रुप और डीएलएफ ने सबसे अधिक योगदान दिया है। प्रूडेंट ट्रस्ट ने पिछले साल अपने 169 करोड़ के कुल चंदे में भाजपा को 144 करोड़ रुपये दिए हैं। इसमें भारती समूह की तरफ से 33 करोड़ और डीएलएल ने 52 करोड़ रुपये दिए थे। प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट का नाम पहले सत्य इलेक्टोरल ट्रस्ट था।
इससे पहले प्रूडेंट ट्रस्ट समाजवादी पार्टी, पंजाब की शिरोमणि अकाली दल, राष्ट्रीय लोक दल, आम आदमी पार्टी समेत आधा दर्जन दलों को चंदा देता था। जानकारी के अनुसार पिछले चार साल के दौरान इलेक्टोरल ट्रस्टों को विभिन्न कंपनियों की तरफ से जो चंदा मिला उनमें से करीब 90 फीसदी रकम प्रूडेंट ट्रस्ट के हिस्से में आई। प्रूडेंट ने अप्रैल 2017 से मार्च 2018 के दौरान 18 किस्त में भाजपा को 144 करोड़ रुपये दिए थे।