निर्वाचन आयोग ने रविवार को लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा कर दी है। चुनाव सात चरणों में 11 अप्रैल से 19 मई तक होगा और मतों की गिनती 23 मई को होगी। ढाई महीने तक चलने वाली इस चुनावी प्रक्रिया में मतदाताओं के सामने विकल्प होगा कि वे नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले गठबंधन को दोबारा चुने या फिर किसी दूसरे विकल्प को चुने। इन तारीखों के ऐलान के साथ कई सारे राजनेताओं के इस पर बयान आने शुरू हो गए। इस दौरान दक्षिण के कुछ राजनेता  इस घोषणा से नाराज़ थे और लोकसभा चुनाव के ऐलान का वक्‍त बदलवाना चाहते थे।

जी हां दक्षिण के कुछ राजनेताओं ने इस पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने चुनाव के तारीखों की घोषणा के समय को ज्योतिष विज्ञान से जोड़ दिया है। दक्षिण के कुछ राजनेताओं का मानना है कि चुनाव की तारीखों की घोषणा किसी और समय में होनी चाहिए थी। इन नेताओं का मानना है कि रविवार को शाम 4:30 से 6 बजे के बीच राहु काल का समय था। ऐसे समय में किसी शुभ कार्य का शुभांरभ नहीं करना चाहिए। इस घोषणा से पहले कुछ राजनेताओं ने निर्वाचन आयोग से प्रेस कॉन्फ्रेंस के समय को बदलने की मांग भी की थी। इस मामले में सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात ये है कि इस अंधविश्वास में केवल राजनेता शामिल नहीं थे बल्कि कुछ राज्यपाल भी ऐसा मान रहे थे।

बता दें मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि चुनावी कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही देश में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है और यह सरकार और राजनीतिक पार्टियों पर तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। आदर्श आचार संहिता लागू हो जाने के बाद सरकार न तो कोई नीतिगत निर्णय ले सकती है और न किसी नई परियोजना की घोषणा ही कर सकती है। अरोड़ा ने अन्य दो निर्वाचन आयुक्तों अशोक लवासा और सुशील चंद्रा के साथ संवाददाता सम्मेलन में कहा कि लोकसभा चुनाव के साथ ही आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम में विधानसभा के चुनाव भी होंगे। लेकिन जम्मू एवं कश्मीर में विधानसभा चुनाव की पार्टियों की मांग सुरक्षा कारणों से नहीं मानी गई है। इसके अलावा 12 राज्यों में 34 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव भी साथ में कराए जाएंगे, जिसमें 18 सीटें तमिलनाडु की हैं, जो सत्ताधारी एआईएडीएमके का राज्य में भविष्य तय करेंगी।