आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पार्टी के सांसदों को अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने और जोर-शोर से किसानों का मुद्दा उठाने को कहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ गठबंधन का मुद्दा उनपर छोड़ दिया जाए। ठाकरे के करीबी सहयोगी हर्षल प्रधान ने पार्टी प्रमुख के हवाले से मंगलवार (29 जनवरी) को कहा कि शिवसेना की प्रतिबद्धता राज्य के लोगों के प्रति है। ठाकरे ने सोमवार को उपनगर बांद्रा में अपने ‘मातोश्री’ आवास पर शिवसेना के सांसदों और विधायकों से मुलाकात की।
ठाकरे को उद्धृत करते हुए प्रधान ने कहा, ‘‘शिवसेना पूरी ताकत के साथ यह चुनाव लड़ेगी । सभी मौजूदा सांसदों को अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और अगर उन्हें लगता है कि वे जीत नहीं पाएंगे तो दूसरों के लिए रास्ता छोड़ दें।’’ प्रधान के मुताबिक, शिवसेना के अध्यक्ष ने कहा है कि भाजपा के साथ गठबंधन के मुद्दे को उन पर छोड़ दें। उन्होंने कहा कि ठाकरे ने सांसदों को जमीनी स्तर पर काम करने और किसानों को फसल बीमा भुगतान तथा कर्ज छूट की समीक्षा करने को कहा है।
दरअसल, इन दिनों शिवसेना और भाजपा के बीच तल्ख बयानबाजी हो रही है। शिवसेना ने सोमवार को कहा कि वह महाराष्ट्र में भाजपा के साथ गठबंधन में हमेशा ‘बड़े भाई’ की भूमिका में रहेगी और भाजपा की तरफ से इस आशय का कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में हुई एक बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में शिवसेना के राज्यसभा सदस्य और संसद में मुख्य सचेतक संजय राउत ने कहा कि ने जोर देकर कहा, ‘‘शिवसेना महाराष्ट्र में बड़ा भाई है (भाजपा और दूसरे दलों के साथ गठबंधन में) और बना रहेगा। भाजपा की तरफ से शिवसेना के साथ गठबंधन के लिये कोई प्रस्ताव नहीं है। जो लोग हमसे गठबंधन के इच्छुक हैं वो इसके बारे में बात कर रहे हैं। हम किसी प्रस्ताव के हमारे पास आने का इंतजार नहीं कर रहे हैं।’’
‘बडे़ भाई’ की भूमिका वाले बयान के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने कहा कि उनकी पार्टी शिवसेना से गठबंधन के लिए कोई उतावली नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा शिवसेना के साथ गठबंधन चाहती है लेकिन हम इसके लिए कोई उतावले नहीं हैं। हम हिंदुत्व के संरक्षक के तौर पर गठबंधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत ताकत चाहते हैं।’’
गौरतलब है कि लंबे समय तक साझेदार भाजपा और शिवसेना में 2014 तक यह समझ थी जिसके तहत भाजपा राज्य में लोकसभा की ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ती थी और शिवसेना महाराष्ट्र विधानसभा की ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ती थी। साल 2014 के विधानसभा चुनाव में हालांकि यह गठबंधन खत्म हो गया जब भाजपा ने मजबूत मोदी लहर पर सवार होकर अकेले महाराष्ट्र में चुनाव लड़ा तथा 122 सीटों पर जीत हासिल की। वहीं, शिवसेना को महज 63 सीटों पर जीत मिली थी।

