देश में लोकतंत्र का त्योहार जारी है और इसके लिए लोगों को जोश देखते ही बन रहा है। वोटिंग के दौरान ऐसे कई उदाहरण सामने आए जिसने वोटिंग के जज्बे को जाहिर किया। ऐसे में एक शख्स ऐसा भी है जो करीब 13 हजार किलोमीटर की दूरी तक करके वोट डालने आया है। बता दें कि 2019 लोकसभा चुनावों के तहत चार चरणों के मतदान हो चुके हैं और पांचवे चरण के तहत 6 मई को मतदान होगा।

ब्राजील से वोट डालने आया शख्स: दरअसल ब्राजील के साओ पाउलो से वोट डालने के लिए शख्स भारत आया। शख्स का नाम धीरज मोर है जो शिव सेना का समर्थक है। जिसके चलते धीरज सोमवार (29 अप्रैल) को सिर्फ वोट डालने भारत आए। गौरतलब है कि शिवसेना के अनुयायी धीरज पिछले 8 सालों से विधानसभा और आम चुनावों में वोटिंग के लिए भारत आ रहे हैं। बता दें कि धीरज के पास ब्राज़ील का स्थायी निवासी कार्ड है और अभी तक उसका भारतीय पासपोर्ट सरेंडर नहीं किया गया है। वोट देने के बारे में धीरज कहते हैं – भारतीय चुनावों में धीरज को वोट देना किसी सम्मान से कम नहीं है। बता दें कि दोनों देशों की दूरी करीब 8,553 माइल्स (13764.72 किलोमीटर) है।

धीरज का क्या है कहना: धीरज कहते हैं- भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। हमारे संविधान के संस्थापक बीआर आबेंडकर ने सुनिश्चित किया कि हमें स्वतंत्रता के बाद सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार मिला। हमें अपने नेताओं को चुनने के लिए इस अधिकार का प्रयोग करना चाहिए।

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कौन हैं धीरज मोर: मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक धीरज ने 21 साल पहले 1998 में मुंबई छोड़ दिया था और पहले हॉन्ग कॉन्ग और फिर ब्राजील चले गए। पेश से टेक्सटाइल इंजीनियर धीरज को 6 भाषाएं आती हैं, जिसमें पुर्तगाली, स्पेनिश और कैंटोनीज़ शामिल हैं। बता दें कि धीरज ने तटीय शहर महाड में एक मशीन ऑपरेटर के रूप में अपना करियर शुरू किया था।

कैसे शिवसेना से जुड़े: 1993 में सेंचुरी बाजार में हुए विस्फोट के बाद धीरज पीड़ितों और उनके परिवार की मदद के लिए आगे आए। उनकी समाज सेवा की खबर बाल ठाकरे तक पहुंची। जिसके बाद बाला साहेब ने उन्हें बुलाया और उन्हें अपने जीवन में सफल होने में मदद करने का वादा किया। शिवसेना सुप्रीमो के साथ एक बैठक ने उन्हें जीवन के लिए एक सैनिक (शिवसैनिक) बना दिया।

 

शाखा की सीख ने की ब्राजील में मदद: धीरज बताते हैं कि शाखा (स्थानीय शिव सेना कार्यालय) में जो उन्होंने सीखा वो जीवन भर उनके काम आया। आगे धीरज कहते हैं- ‘शाखा की सीख ही ने ब्राजील में मुझे कई बार मदद की। मैनें वहां सही कारणों के लिए कई बार धरना दिया और सच का साथ दिया।’