भाजपा के वरिष्ठ नेता शाहनवाज हुसैन पार्टी के चर्चित मुस्लिम चेहरों में शुमार किए जाते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे शाहनवाज हुसैन, पार्टी की ताकतवर मानी जाने वाली सेंट्रल इलेक्शन कमेटी का भी हिस्सा हैं। लेकिन हालिया लोकसभा चुनावों में शाहनवाज हुसैन का भागलपुर से टिकट काट दिया गया है। बता दें कि बिहार की भागलपुर सीट इस बार एनडीए में सीट बंटवारे के तहत जदयू के खाते में चली गई है। जिसके चलते शाहनवाज हुसैन का टिकट पर दावा अपने आप खत्म हो गया। द इंडियन एक्सप्रेस में छपे कूमी कपूर के एक लेख के अनुसार, नीतीश कुमार और शाहनवाज हुसैन के बीच संबंध मधुर नहीं है। शाहनवाज हुसैन ने खुद भागलपुर से टिकट कटने के बाद ट्वीट कर नीतीश कुमार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था।
हालांकि खबर के अनुसार, शाहनवाज हुसैन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के करीबी लोगों की लिस्ट में भी शामिल नहीं हैं। राजनीति के जानकारों का मानना है कि शाहनवाज हुसैन उन नेताओं में शुमार हैं, जिन्हें लालकृष्ण आडवाणी के खेमे का माना जाता है। अब जब भाजपा में मोदी-शाह युग चल रहा है, ऐसे में ये भी एक वजह हो सकती है कि शाहनवाज हुसैन इन दिनों पार्टी में हाशिए पर चल रहे हैं। बिहार में भाजपा ने गिरिराज सिंह की सीट भी बदल दी है, जिसके चलते वह भी सार्वजनिक रुप से अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। हालांकि अब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ मुलाकात के बाद गिरिराज सिंह बेगूसराय सीट से चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गए हैं, जहां उनका मुकाबला सीपीआई उम्मीदवार कन्हैया कुमार से होगा।
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उल्लेखनीय है कि शाहनवाज हुसैन भागलपुर से दो बार चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि साल 2014 में मोदी लहर के बावजूद शाहनवाज हुसैन भागलपुर से लोकसभा चुनाव हार गए थे। 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए शाहनवाज हुसैन बीते साल से ही तैयारी में लग गए थे और वह लगातार भागलपुर के दौरे कर रहे थे। शाहनवाज हुसैन को उम्मीद थी कि पार्टी एक बार फिर उन पर विश्वास दिखाएगी और उन्हें भागलपुर से टिकट मिलेगा। लेकिन सीट बंटवारे में भागलपुर जदयू के खाते में गई और उसके बाद से ही शाहनवाज हुसैन की उम्मीदवारी पर सवालिया निशान लग गए थे।
