मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में ‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ’ (आरएसएस) बीजेपी के लिए जी-जान से सक्रिय हो चुका है। वह राज्य में बीजेपी की जीत को हर हाल में सुनिश्चित कराना चाहता है। इसी के मद्देनज़र संघ ने पूरे मध्य प्रदेश में अलग तरह का सर्वे कराया है। बताया जा रहा है कि अब तके हुए तमाम सर्वे से यह बिल्कुल हटकर है। ‘द कारवां’ में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक आरएसएस ने वोटरों को बीजेपी के पाले में लाने के लिए पिछले 10 दिनों के भीतर बूथ स्तरीय सर्वे कराया है। सर्वे में तीन श्रेणियां- A, B और C रखी गयीं। इन श्रेणियों के आधार पर मतदाताओं को अधिक से अधिक संख्या में बीजेपी की तरफ मोड़ने की कोशिश हो रही है। रिपोर्ट में बताया गया है कि आरएसएस ने A श्रेणी में उन मतदाताओं को शामिल किया है जो संघ या बीजेपी के कट्टर समर्थक हैं। B श्रेणी में उन वोटरों को शामिल किया गया है जो बीजेपी छोड़ कांग्रेस को वोट देने का मन बना रहे हैं। C श्रेणी में ख़ासकर कांग्रेस या दूसरे दलों के कट्टर समर्थकों को शामिल किया गया है। अब संघ इस डाटा के आधार पर B श्रेणी वाले मतदाताओं को साधने में जुटा हुआ है। क्योंकि, यही मतदाता जीत या हार तय करेंगे।
संघ का सर्वे कई मायनों में अलग और रणनीतिक रूप से अहम बताया जा रहा है। इससे पहले शायद ही कभी ऐसा सर्वे आरएसएस ने किया हो। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह कांग्रेस का घोषणा-पत्र बताया जा रहा है। कारवां में छपी रिपोर्ट में एक आरएसएस कार्यकर्ता के हवाले से कहा गया है कि चुनाव में जैसे ही कांग्रसे ने आरएसएस पर सीधा हमला बोला, सभी जगह स्यवं सेवक अलर्ट हो गए। कांग्रेस को सत्ता से बाहर रखने के लिए बूथ स्तर पर सटिक सर्वे का डाटा तैयार किया गया। क्योंकि, अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो ना सिर्फ बीजेपी बल्कि आरएसएस के लिए एक बड़ा झटका होगा। आरएसएस ने इस आशंका को भांपते हुए बीजेपी के हक में माहौल बनाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। गौरतलब है कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में सरकारी संस्थानों में आरएसएस की शाखाओं पर प्रतिबंध लगाने की बात कही है।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को आरएसएस ने बीजेपी से अलग निजी तौर पर जंग मान लिया है। जानकारी के मुताबिक सर्वे में बीजेपी का कोई योगदान नहीं है। स्वयंसेवकों ने इसे निजी तौर पर पूरा किया है। सभी कार्यकर्ताओं को 22 नवंबर तक बूथ लेवल पर सर्वे पूरा करने के लिए कहा गया था। जिनमें से अधिकांश जगहों पर काम हो चुका है।
बीते 15 सालों में आरएसएस की जड़ें मध्य प्रदेश में काफी गहरी हुई हैं। संघ की शाखाओं में काफी इजाफा भी हुआ है। इसके विस्तार में बीजेपी का सत्ता में रहना बड़ा कारण बताया जाता है। जानकारों का मानना है कि आरएसएस किसी भी सूरत में मध्य प्रदेश में अपनी जमीन गंवाना नहीं चाहगा। लिहाजा, उसकी कोशिश कांग्रेस को सत्ता से दूर रखना है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जिस तरह से आरएसएस पर सीधा हमला बोल रहे हैं, उसको देखते हुए वह निजी चुनौती के रूप में देख रहा है। लिहाजा, संघ से जुड़े तमाम कार्यकर्ता अब डोर-टू-डोर कैंपेन में हिस्सा ले रहे हैं।