राष्ट्रीय लोक दल (RLD) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शाहिद सिद्दीकी ने पार्टी से इस्तीफा दिया। उन्होंने कहा कि मैं देश के लोकतांत्रिक ढांचे को समाप्त होते नहीं देख सकता। शाहिद सिद्दीकी ने लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में आरएलडी के शामिल होने के बाद पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।

एक्स पर एक पोस्ट में सिद्दीकी ने कहा कि उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया क्योंकि वह चुपचाप उन सभी संस्थानों को कमजोर होते हुए नहीं देख सकते, जिन्होंने एकजुट होकर भारत को दुनिया के महान देशों में से एक बनाया है।

खामोश रहना पाप है- शाहिद

शाहिद सिद्दीकी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “कल मैं ने राष्ट्रीय लोक दल की सदस्यता और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की पोस्ट से अपना त्यागपत्र राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत सिंह जी को भेज दिया है। आज जब भारत का संविधान और लोकतांत्रिक ढांचा खतरे मैं है खामोश रहना पाप है। मैं जयंत जी का आभारी हूं पर भारी मन से आरएलडी से दूरी बनाने के लिए मजबूर हूं। भारत की एकता, अखंडता, विकास और भाईचारा सर्वप्रिय है। इसे बचाना हर नागरिक की जिम्मेदारी और धर्म है।”

जयंत चौधरी को लिखा पत्र

सोशल मीडिया पर ही जयंत चौधरी को लिखे एक पत्र में शाहिद सिद्दीकी ने लिखा, “आदरणीय जयंत जी,हमने 6 वर्षों तक एक साथ काम किया है और एक-दूसरे का सम्मान करते हैं। मैं, एक तरह से, आपको एक सहकर्मी से अधिक एक छोटे भाई के रूप में देखता हूं। हम महत्वपूर्ण मुद्दों पर और विभिन्न समुदायों के बीच भाईचारे और सम्मान का माहौल बनाने में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए हैं।”

शाहिद ने आगे लिखा, “धर्मनिरपेक्षता और हम दोनों जिन संवैधानिक मूल्यों को संजोते हैं, उनके प्रति आपकी प्रतिबद्धता पर कोई संदेह नहीं कर सकता। आपके दिवंगत दादा, भारत रत्न चौधरी चरण सिंहजी, आपके दिवंगत पिता अजीत सिंह जी और आपके समय से और वास्तव में आपके द्वारा बनाई गई पार्टी इन मूल्यों के लिए खड़ी रही है।”

आरएलडी के एनडीए का हिस्सा बनने से असमंजस में- शाहिद सिद्दीकी

पूर्व आरएलडी उपाध्यक्ष ने आगे लिखा, “अब आरएलडी के एनडीए का हिस्सा बनने से मैं असमंजस में पड़ गया हूं। मैंने अपने दिल और दिमाग के बीच कठिन संघर्ष किया लेकिन खुद को भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन से जुड़ने में असमर्थ पाता हूं। मैं आपकी राजनीतिक मजबूरियों से अवगत हूं और आपको सलाह देने की स्थिति में नहीं हूं। अपनी बात करूं तो मैं खुद को इससे और वास्तव में आरएलडी से अलग करने के लिए बाध्य हूं।

गौरतलब है कि कई महीनों की अटकलों के बाद, केंद्र सरकार द्वारा अपने दिवंगत दादा और पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने के बाद जयंत चौधरी एनडीए में शामिल हो गए।