राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सामने कन्हैया लाल हत्या मामला, पेपर लीक और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे ही सिर्फ चुनौती नहीं हैं बल्कि महिला सुरक्षा का मुद्दा भी भाजपा ने पूरी मुस्तैदी के साथ उठाया हुआ है। गुरुवार को जयपुर में भाजपा का घोषणापत्र जारी करते समय भी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने संबोधन में महिलाओं की सुरक्षा पर खास बात की थी। जेपी नड्डा ने कहा था कि पार्टी का उद्देश्य महिलाओं का सम्मान सुनिश्चित करना है और ऐसा कांग्रेस सरकार में नहीं हो रहा है।

भाजपा ने महिला सुरक्षा के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरा?

भाजपा ने अपने मेनिफेस्टो में पुलिस बल में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण, हर जिले में एक महिला पुलिस स्टेशन, एंटी-रोमियो दस्तों का गठन, राजस्थान सशस्त्र कांस्टेबुलरी (आरएसी) के तहत तीन महिला बटालियन, मुफ्त शिक्षा का वादा किया है। इसके अलावा आर्थिक रूप से कमजोर लड़कियों के लिए स्नातक, और 12वीं कक्षा की मेधावी लड़कियों के लिए मुफ्त स्कूटी, इसके अलावा लड़की के जन्म के समय 2 लाख रुपये का बचत बांड भी शामिल किया गया है। कई कारण हैं जिनकी वजह से भाजपा अपने राजस्थान चुनाव अभियान में महिलाओं पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

क्या हैं महिला सुरक्षा पर भाजपा के रुख की खास वजह?

भाजपा के महिला सुरक्षा के मुद्दे को आगे रखने और चुनाव में प्रमुखता से उठाने के कई अहम कारण हैं। इसका पहला कारण ईडी के कई छापों के बावजूद राजस्थान कांग्रेस पर खास शिकंजा कस पाने में नाकाम रहने के बाद भाजपा अब महिला सुरक्षा, पेपर लीक और करप्शन जैसे मुद्दों का रुख कर रही है। दूसरी वजह महिलाओं की सुरक्षा मुद्दे का कई ताजा घटनाओं के रहते बढ़ जाना कहा जा रहा है जिसके कारण राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के लिए राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े ऊंचे हो गए हैं।

कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद पहला बड़ा मामला लोकसभा चुनाव के दौरान थानागाजी में सामने आया था। जहां एक महिला के साथ उसके पति के सामने सामूहिक बलात्कार किया गया था। गहलोत ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों को नियंत्रित करने के लिए राज्य भर में अनिवार्य एफआईआर पंजीकरण सहित कई योजनाओं और सख्त उपायों का ऐलान किया था।

साल 2018 के एनसीआरबी आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ अपराधों की कुल संख्या में राजस्थान पांचवें स्थान पर था। 2019 में एफआईआर के अनिवार्य पंजीकरण के साथ बदलाव के बाद राजस्थान दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की कुल संख्या 2018 में 27,866 से बढ़कर 2019 में 41,550 हो गई थी। 2020 में पश्चिम बंगाल के साथ राजस्थान तीसरे स्थान पर रहा। 2021 में राजस्थान फिर से दूसरे स्थान पर लौट आया।

भाजपा ने इस डेटा का हवाला देते हुए दावा किया कि राजस्थान महिलाओं के लिए असुरक्षित हो गया है। कांग्रेस अभी तक लोगों को यह समझाने में नाकामयाब ही दिखाई दी है कि अपराध में उछाल के आंकड़े ज़्यादा एफ़आईआर दर्ज होने की वजह से सामने आए हैं। यह समझाने का मामला भी है कि राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच में लगने वाला औसत समय 2019 में 138 दिन से गिरकर 2023 में 56 दिन हो गया है। लेकिन कांग्रेस अभी भाजपा के हमलों का जवाब देने में काफी पीछे दिखाई दी है।