राजस्थान की तारानगर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के वर्तमान विधायक नरेंद्र बुढ़ानिया एक बार फिर जीत हासिल करने में कामयाब रहे हैं।108236 वोट हासिल करने वाले बुढ़ानिया ने बीजेपी से नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को हरा दिया है। 10345 वोटों से शिकस्त पाने वाले राजेंद्र राठौड़ 97891 वोट हासिल कर सके और दूसरे नंबर पर रहे। CPI (Marxist) के निर्मल कुमार 6815 वोट के साथ तीसरे नंबर पर रहे। बात करें बीजेपी के राजेंद्र राठौड़ की तो वह चूरू विधानसभा सीट से विधायक थे लेकिन इस बार उनकी सीट बदल दी गई।

तारानगर शेखावाटी इलाके में पड़ता है। आजादी के बाद इस सीट पर 10 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं और उसमें से 6 बार कांग्रेस को जीत हासिल हुई है, जबकि केवल दो बार बीजेपी को यहां पर जीत मिली है। 2003 के बाद कांग्रेस को यहां पर 2018 में जीत हासिल हुई। 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां से बाजी मारी थी। 2008 में यहां से वर्तमान बीजेपी उम्मीदवार राजेंद्र राठौड़ ने जीत हासिल की थी। जबकि 2013 में बीजेपी ने जय नारायण पूनिया को उम्मीदवार बनाया था और उन्होंने जीत हासिल की थी।

जातीय समीकरण

तारानगर सीट वैसे तो जाट बहुल कही जाती है लेकिन यहां पर राजपूत वोटरों की भी संख्या निर्णायक है। इस सीट पर 2,30,000 से अधिक वोटर हैं और जाट वोटरों की संख्या करीब 45 हजार है। वहीं पर 40 हजार के करीब यहां पर राजपूत मतदाता हैं। इसी को देखते हुए भाजपा ने राजेंद्र राठौड़ को यहां से उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर ब्राह्मण वोटर 15 हजार, वैश्य 15 हजार, दलित वोटर 30 हजार हैं।

2018 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी चंद्रशेखर वैद्य ने 41,296 वोट यहां पर हासिल किया था और वह तीसरे नंबर पर रहे थे। माना जाता है कि उन्होंने ही यहां पर बीजेपी से बगावत कर पार्टी को नुकसान पहुंचाया था नहीं तो यहां पर बीजेपी आसानी से चुनाव जीत जाती और हैट्रिक लगा देती।

2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने राजेंद्र सिंह राठौड़ को उम्मीदवार बनाया है तो वहीं कांग्रेस ने अपने विधायक नरेंद्र बुढ़ानिया पर एक बार फिर से भरोसा जताया है और लगातार दूसरी बार जीत हासिल करने की उम्मीद कर रही है। यहां पर दोनों ही उम्मीदवारों में कांटे की टक्कर हो सकती है। नरेंद्र बुढ़ानिया जाट समुदाय से आते हैं तो वहीं राजेंद्र राठौड़ राजपूत समुदाय से आते हैं।

कभी चुनाव नहीं हारे राजेंद्र राठौड़

राजेंद्र राठौड़ बीजेपी में शामिल होने के बाद कभी चुनाव नहीं हारे हैं। 1993 से लगातार वह विधायक चुने जा रहे हैं। पांच बार उन्होंने चूरू विधानसभा सीट से जीत दर्ज की तो 2008 में पहली बार तारानगर से लड़े और चुनाव जीत गए। 2013 में जब वसुंधरा सरकार बनी तो उन्हे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा दिया गया।