पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की गहमा-गहमी के बीच सपा और आरएलडी के कांग्रेस से नाराजगी की चर्चा जारी है। मध्यप्रदेश में 17 नवंबर को मतदान होना है वहीं राजस्थान में वोटिंग की तारीख 25 नवंबर है। दोनों ही राज्य भाजपा-कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव से पहले काफी अहम माने जा रहे हैं। फिलहाल इंडिया गठबंधन में मौजूद अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और जयंत चौधरी की आरएलडी कांग्रेस से खफा नजर आ रही है। वजह है एमपी और राजस्थान में सीटों को बंटवारा। अखिलेश यादव ने मध्यप्रदेश में अपने मन मुताबिक सीटों पर कांग्रेस के साथ बातचीत सफल नहीं होने पर नाराजगी जताई थी वहीं अब राजस्थान में ऐसा ही कुछ आरएलडी के साथ भी होता दिखाई दे रहा है। दावा किया जा रहा है कि आरएलडी ने राजस्थान में कांग्रेस द्वारा उन्हें सिर्फ एक सीट देने और अंधेरे में रखने का आरोप लगाया है।

पहले भी RLD ने साथ मिलकर लड़ा था चुनाव

उत्तर प्रदेश में सपा की सहयोगी आरएलडी ने 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। तब आरएलडी ने दो सीटों भरतपुर और मालपुरा से अपने प्रत्याशी उतारे थे और कांग्रेस ने यहां से उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारे थे। आरएलडी के सुभाष गर्ग ने भरतपुर में 15,710 वोटों से जीत हासिल की थी और उन्हें मंत्री बनाया गया हालांकि पार्टी मालपुरा में हार गई थी। अब आरएलडी नेताओं ने कहा कि वे आश्चर्यचकित हैं कि कांग्रेस ने इस बार पार्टी को केवल एक सीट दी भरतपुर दी है। आरएलडी के एक नेता ने कहा,“हमें कम से कम पांच या छह सीटों की उम्मीद थी, लेकिन कांग्रेस ने आखिरी क्षण तक हमारी मांगों पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया। यह एक चाल के रूप में किया गया था ताकि हम अकेले न जाएं या किसी अन्य पार्टी के साथ गठबंधन न करें।”

क्या लोकसभा चुनाव में पड़ेगा इसका असर?

इंडिया गठबंधन जहां लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर चर्चा कर रहा है वहीं विधानसभा चुनावों में विपक्षी दल आपस में खुश नजर नहीं आ रहे हैं। चर्चा यह है कि विधानसभा चुनावों में आपसी नाराजगी कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में नुकसान पहुंचा सकती है।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक आरएलडी के राष्ट्रीय प्रभारी और मीडिया के लिए इंडिया ब्लॉक वर्किंग ग्रुप के सदस्य प्रशांत कनौजिया ने कहा, “कांग्रेस राज्य चुनावों में बड़ा दिल नहीं दिखा रही है जिसका परिणाम 2024 के लोकसभा चुनाव में दिखाई दे सकता है।”

प्रशांत कनोजिया ने आगे कहा,“कांग्रेस राज्य चुनावों में क्षेत्रीय दलों को मौका नहीं दे रही है। अगले साल जब वे सीट-बंटवारे के फॉर्मूले के लिए हमारे पास आएंगे तो हम भी वैसा ही करेंगे। यूपी में वे 80 में से केवल दो-तीन या उससे भी कम सीटों के हकदार हैं। उन्हें याद रखना चाहिए कि यूपी में उनका कोई आधार नहीं है।”