राजस्थान विधानसभा चुनाव के शुरुआती दौर में ‘मोदी तुझसे बैर नहीं, वसुंधरा तेरी खैर नहीं’ का नारा सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में रहा। शेखावाटी क्षेत्र से शुरू हुआ यह नारा काफी हद तक चुनाव की ग्राउंड रिपोर्ट को बताता है। हालांकि राजस्थान की एंटी इनकमबेंसी से परेशान भाजपा को राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सहारा मिल सकता है। गौरतलब है कि मार्च में झुंझुनूं में हुई एक जनसभा में पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काले झंडों का सामना करना पड़ा था। इस दौरान उनके साथ मंच पर वसुंधरा भी मौजूद थीं।
राजस्थान के जयपुर, सीकर, झुंझुनूं , नागौर, जोधपुर और उदयपुर में राज्य सरकार के खिलाफ गुस्सा देखने को मिला लेकिन पीएम मोदी की लोकप्रियता के चलते फिर भी लोग भाजपा के साथ ही हैं। ग्रामीण इलाकों में लोग पीने का साफ पानी न मिलने से भी नाराज दिखे। लागत बढ़ने और न्यूनतम समर्थन मूल्य को हासिल करने में आ रही दिक्कतों के चलते किसान भी नाराज दिख रहे हैं। किसानों ने उदाहरण देते हुए बताया कि बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1950 रुपए प्रति क्विंटल रखा गया है लेकिन उन्हें 1200 रुपए तक में बेचने पर मजबूर किया जा रहा है। मूंगफली, चना और गेहूं के किसानों के साथ भी ऐसी ही समस्याएं हैं। किसानों का कहना है कि सरकारी खरीद केंद्र और मंडियां जल्दी बंद हो जाती हैं। वहां बेचने की ऑनलाइन प्रक्रिया भी परेशान करने वाली है और भुगतान के लिए भी लंबा इंतजार करना पड़ता है।
जीएसटी को लेकर व्यापारियों में भी गुस्सा देखने को मिल रहा है। हैंडीक्राफ्ट और फर्नीचर के निर्यातक राधेश्याम रांगा बताते हैं कि जीएसटी ने सिर्फ निचली नौकरशाही को मजबूत किया है। वहीं नागौर के इकरामुद्दीन कहते हैं कि हर चीज की कीमत बढ़ने का सीधा असर मजदूरों के वेतन पर पड़ता है। वसुंधरा के तरकश के प्रमुख तीरों में शुमार भामाशाह योजना भी भ्रष्टाचार की शिकार बताई जा रही है। यह राजस्थान सरकार की पहली डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर जैसी योजना है। लेकिन लोगों का कहना है कि यह भी निजी अस्पतालों के लालच, सुस्त प्रबंधन और दस्तावेजों के बोझ तले यह योजना भी उतनी असरदार नहीं रही।
सीकर, जोधपुर और जयपुर जैसे सवर्ण बाहुल्य इलाकों में छात्रों ने आरक्षण का मुद्दा भी उठाया। एससी-एसटी अधिनियम और आरक्षण भाजपा के लिए नई मुसीबत बन गए हैं। यह दोधारी तलवार पर कदमताल करने जैसा बन गया है। अगस्त 2016 में जयपुर राजमहल पैलेस की संपत्ति सील किए जाने, जसवंत सिंह को 2014 में टिकट न देने, हाल ही में उनके बेटे मानवेंद्र के भाजपा छोड़ने, गैंगस्टर आनंदपाल सिंह के एनकाउंटर जैसे कई मामलों के चलते राजपूत बिरादरी भी वसुंधरा सरकार से नाराज चल रही है।
कई लोगों ने भाजपा को राम मंदिर के मसले पर आगे बढ़ने की भी सलाह दी। वहीं कुछ ने नोटबंदी को अच्छी भावना के साथ उठाया गया कदम बताया। सीकर के भागीरथ बताते हैं कि आप 10 काम करते हैं तो उसमें से एक गलत भी साबित हो सकता है। इस सबके बावजूद प्रधानमंत्री मोदी को उनका पूरा समर्थन है। उन्होंने ‘वसुंधरा तेरी खैर नहीं’ वाला नारा भी दोहराया। वहीं राहुल के बारे में उन्होंने कहा कि अभी तक उन्होंने कोई अधिकार वाली कुर्सी संभाली ही नहीं तो उनके बारे में कुछ कैसे कह सकते हैं।