राजस्थान विधान सभा चुनावों के लिए सत्तारूढ़ भाजपा ने अब तक कुल 162 उम्मीदवारों की दो लिस्ट जारी कर दी है लेकिन इनमें से एक भी मुस्लिम चेहरा शामिल नहीं है। पार्टी को अगले चार दिनों में 38 और उम्मीदवारों का ऐलान करना है क्योंकि 19 नवंबर नामांकन की आखिरी तारीख है। दो लिस्टों को देखते हुए माना जा रहा है कि इस बार भाजपा एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को नहीं उतारेगी। हालांकि, इससे पहले 2013 के विधान सभा चुनाव में पार्टी ने चार मुस्लिम चेहरों को मैदान में उतारा था। इनमें से दो जीतने में कामयाब रहे थे जबकि दो चुनाव हार गए थे। चुनाव जीतने वालों में नागौर के विधायक हबीबुर्रहमान और वसुंधरा सरकार में लोक निर्माण मंत्री रहे यूनुस खान शामिल थे। लेकिन इस बार पार्टी ने रहमान का टिकट काट दिया है। हबीबुर्रहमान ने तो भाजपा के इस रुख से बगावत भी कर दिया है और पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।
उधर, विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने 2013 के चुनाव में कुल 14 मुस्लिम चेहरों को उतारा था लेकिन सभी हार गए थे। 2013 में भाजपा के दो अन्य मुस्लिम उम्मीदवार धौलपुर से सगीर अहमद और मांडवा से सलीम तनवर थे। पार्टी ने इस बार इन दोनों को भी टिकट नहीं दिया है। भाजपा ने इनकी जगह शभरनी कुशवाहा और नरेंद्र कुमार को क्रमश: उतारा है। नागौर में हबीबुर्रहमान की जगह बाजपा ने मोहन राम चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। बता दें कि रहमान पांच बार विधायक रह चुके हैं। भाजपा में शामिल होने से पहले वो कांग्रेस में थे।
लोक निर्माण मंत्री यूनुस खान को सीएम वसुंधरा राजे का करीबी समझा जाता है। वो डिडवाना से चुनाव लड़ते हैं और अभी तक डिडवाना से उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया जा सका है। ऐसी उम्मीद है कि पार्टी यूनुस खान को मुस्लिम चेहरे के तौर पर चुनावी मैदान में उतार सकती है। अगले तीन-चार दिनों में इसका फैसला हो जाएगा। वैसे भी दो लिस्ट जारी करने में सीएम वसुंधरा के करीबियों को खास तबज्जो मिली है। 131 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में सीएम के कुल 85 करीबियों को टिकट मिला था। माना जा रहा है कि खान को टिकट पार्टी अंतिम चरण में दे सकती है क्योंकि उससे पहले पार्टी में बगावत का खतरा मंडरा सकता है।