राजस्थान में 7 दिसंबर को वोटिंग है और सियासत तेज होती जा रही है। हर प्रत्याशी और पार्टी जीत की चाह में है। ऐसे में आपको बताते हैं एक सियासत से जुड़ा एक किस्सा। तीसरे आम चुनाव से पहले राजस्थान की चुनावी स्थिति ‘सामंत बनाम कांग्रेस’ बनती देखकर तत्कालीन सीएम मोहनलाल सुखाड़िया ने जयपुर की पूर्व महारानी गायत्री देवी से संपर्क किया। उस समय स्वतंत्र पार्टी का भी जन्म हो चुका था। डूंगरपुर में महारावल लक्ष्मण सिंह, अलवर से प्रताप सिंह, कोटा के महाराजा और जोधपुर रियासत के सामंत एवं जागीदार चुनाव के लिए एकजुट हो रहे थे।
सुखाड़िया का था कांग्रेस से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव
बता दें कि ऐसे ही हालात में 1952 के पहले चुनाव में भी बने थे। 1962 के चुनाव से कई महीने पहले एक दिन पूर्व सीएम सुखाड़िया गायत्री देवी से मिले और जयपुर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस से लड़ने का प्रस्ताव दिया। उन्होंने सुखाड़िया से कहा- मुझे इस बारे में अपने पति से बात करनी पड़ेगी और ये कहने के साथ ही उन्होंने दो-तीन दिन का वक्त मांगा।
आत्मकथा में भी लिखा
जयपुर महाराजा और गायत्रीदेवी के बीच चर्चा हुई। महाराज ने उनसे कहा- क्यो वो सोचती हैं कि अगर वो कांग्रेस में शामिल हो जाएं तो जयपुर के लिए कुछ अच्छा काम कर सकेंगी? इस वाक्या को गायत्री देवी ने अपनी आत्मकथा ए प्रिंसेस रिमबेम्बर में लिखा है। राजनीति से आने से पहले उनके मानस पर कुछ घटनाओं का असर रहा। उनमें 1956 में जयपुर महाराज को राजप्रमुख पद से हटाने की भी घटना है। राजप्रमुख सवाई मानसिंह पर इसका बड़ा आघात लगा था।
महाराज ने नेहरू को लिखा था पत्र
रियासत के विलय के समय यह समझौता हुआ था कि राजप्रमुख के पद पर वह जीवन पर्यन्त रहेंगे। नेहरू ने इसका जवाब एक वाक्य में दिया- संविधान को पाषाण नहीं बनाया जा सकता। इन्हीं सब बातों पर विचार और चर्चा के बाद गायत्री देवी ने सुखाड़िया को सूचित किया कि वो उनके प्रस्ताव को स्वीकार नहीं कर सकेंगी।
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज है नाम
पूर्व सीएम सुखाड़िया ने जो सोचा था वो सही निकला। 1962 के लोकसभा चुनाव में गायत्री देवी स्वतंत्र पार्टी से उम्मीदवार बनीं। उन्हें सबसे ज्यादा यानी 78 प्रतिशट वोट मिले। जिसके चलते उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ। वो 1967 और 1971 में जयपुर लोकसभा सीट से जीतीं।
गौरतलब है कि 200 सीटों के लिए राजस्थान में कुल 2294 प्रत्याशी मैदान में हैं। प्रदेश में 7 दिसंबर को वोटिंग होगी जबकि 11 दिसंबर को नतीजे सबके सामने होंगे।