राजस्थान विधानसभा चुनाव की तारीख के ऐलान के बाद अब तमाम सियासी दल सक्रिय हो गए हैं। राजस्थान की सियासत में फिलहाल कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का नाम काफी चर्चा में है। वजह है उनके घर पर पड़ी ईडी की रेड। इस आर्टिकल में गोविंद सिंह डोटासरा के बारे में जानेंगे कि कब वह सियासत में आए और उनका सियासी सफर अब तक कैसा रहा? 

गोविंद सिंह डोटासरा : राजस्थान कांग्रेस के प्रमुख जाट नेता 

गोविंद सिंह डोटासरा राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हैं। उन्हें 2020 में सचिन पायलट की जगह इस पद पर बैठाया गया था। वह सीकर जिले से आते हैं और राजस्थान कांग्रेस के एक प्रमुख जाट नेता हैं। राज्य में पंचायत समिति का सदस्य बनने के लिए अपना पहला चुनाव लड़ने के लगभग 15 साल बाद डोटासरा ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर जगह बनाई थी। 

गोविंद सिंह डोटासरा 2005 में वकील के रूप में काम करते हुए पार्टी में शामिल हुए थे और  2008 में लक्ष्मणगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार विधायक चुने गए। तब से वह लगातार तीन बार इस सीट पर काबिज हैं। 2018 उन्हें शिक्षा मंत्री बनाया गया। इससे पहले 14वीं राजस्थान विधानसभा के दौरान उन्होंने कांग्रेस के उप मुख्य सचेतक का पद संभाला था। 

1 अक्टूबर 1964 को सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ में कृपाराम जी की ढाणी में जन्मे 55 वर्षीय डोटासरा ने पार्टी में जमीनी स्तर से अपना करियर शुरू किया था।  डोटासरा ने राजस्थान यूनिवर्सिटी से बीकॉम और फिर एलएलबी की पढ़ाई पूरी की है. उन्होंने लगभग दो दशकों तक सीकर की अदालत में वकालत की। उनकी पत्नी, सुनीता देवी, एक सरकारी स्कूल शिक्षिका हैं और उनके दो बेटे हैं। डोटासरा को 2005 में लक्ष्मणगढ़ पंचायत समिति के प्रधान के रूप में चुना गया था। उन्होंने 2013 के राजस्थान विधान सभा चुनाव में पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री और 3 बार के सांसद सुभाष महरिया को 10,723 वोटों के अंतर से हराया। विधानसभा में डोटासरा ने खास तौर पर किसानों और समाज के कमजोर वर्गों से जुड़े मुद्दे उठाए हैं। उन्होंने 2018 राजस्थान विधान सभा चुनाव भी जीता। फिलहाल वह राजस्थान कांग्रेस के लिए एक सक्रिय लीडर की भूमिका निभा रहे हैं।