माना जाता है कि राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं है। ऐसा कई बार देखा गया है कि सियासत और कुर्सी के लालसा परिवारों को भी बांट देती है। पंजाब में ऐसा ही देखने को मिल रहा है। यहां एक ही परिवार के विभिन्न सदस्य अलग-अलग पार्टियों में रहकर अपने ही किसी सगे के खिलाफ प्रचार अभियान का हिस्सा होंगे।

आम आदमी पार्टी विधायक जगदीप सिंह गोल्डी कंबोज के पिता सुरिंदर कंबोज हाल ही में बसपा में शामिल हुए और उन्हें फिरोजपुर से पार्टी का लोकसभा उम्मीदवार घोषित किया गया। पिता-पुत्र की जोड़ी अब अलग-अलग पार्टियों का प्रतिनिधित्व कर रही है। लुधियाना से सांसद रवनीत बिट्टू कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। भाजपा उन्हें जलंधर से उम्मीदवार भी घोषित कर चुकी है। हालांकि उनके चचेरे भाई गुरकीरत सिंह कोटली और चाचा तेज प्रकाश सिंह सहित उनका परिवार अभी भी कांग्रेस के साथ हैं। पूर्व कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह भुल्लर अभी भी कांग्रेस में हैं जबकि उनके भाई अनूप सिंह भुल्लर भाजपा में शामिल हो गए हैं।

हालांकि, यह घटनाएं नई नहीं हैं। राज्य में पहले भी ऐसा होता रहा है जब एक ही परिवार के सदस्य, रिश्तेदार अलग-अलग पार्टियों में शामिल हुए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के परिवार में जब फूट पड़ी थी तो राज्य में काफी हंगामा हुआ। बादल के भतीजे, मनप्रीत सिंह बादल ने अपनी खुद की पीपुल्स पार्टी आफ पंजाब (पीपीपी) बनाने के लिए शिरोमणि अकाली दल छोड़ दिया। बाद में मनप्रीत बादल कांग्रेस में शामिल हो गए। वह अब भाजपा में हैं और उनके चचेरे भाई सुखबीर सिंह बादल शिअद के प्रमुख हैं।

परिवार में एक और विभाजन जिसने लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया, वह था जब पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का परिवार। कैप्टन के छोटे भाई मालविंदर सिंह ने 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले टिकट से इनकार किए जाने पर कांग्रेस छोड़ शिअद में शामिल हो गए थे। हालांकि, बाद में वह 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस में वापस आ गए।

कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के भाई मनोहर सिंह ने भी बगावत कर बस्सी पठाना क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ा। हालांकि, वह हार गए। वर्तमान विधानसभा में, कांग्रेस विधायक राणा गुरजीत सिंह विपक्षी कांग्रेस की मेज पर बैठते हैं, जबकि इसी विधानसभा में उनके बेटे राणा इंदर प्रताप सिंह आजाद विधायक के रूप में मौजूद रहते हैं। प्रदेश भाजपा प्रमुख सुनील कुमार जाखड़ के भतीजे संदीप जाखड़ कांग्रेस विधायक हैं। उन्हें भाजपा की मदद करने के लिए कांग्रेस से निलंबित कर दिया था।

पहले भी ऐसे कुछ उदाहरण देखने को मिले हैं जब भाई-बहन एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़े थे। पूर्व कांग्रेस मंत्री रजिया सुल्ताना के भाई अरशद डाली ने 2017 के विधानसभा चुनाव में आप के टिकट पर उनके खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। उन चुनावों के दौरान, पूर्व कांग्रेस विधायक अश्विनी सेखड़ी के भाई इंदर सेखड़ी ने बटाला में उनके खिलाफ चुनाव लड़ा था। उन्हें सुच्चा सिंह छोटेपुर की अपना पंजाब पार्टी ने मैदान में उतारा था। बाद में इंदर सेखड़ी शिरोमणि अकाली दल में शामिल हो गए और 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले इसे छोड़कर फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए।