पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के भाई मनोहर सिंह के बगावती तेवर ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। टिकट न मिलने से नाराज मनोहर सिंह ने कहा है कि वह बस्सी पठाना से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगे। वहीं, अब सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा है कि वह टिकट नहीं मिलने से नाराज अपने भाई से बात करेंगे।

मनोहर सिंह के बस्सी पठाना सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतरने के ऐलान के बाद सीएम चन्नी ने संकेत दिया कि वह कांग्रेस के मौजूदा विधायक और उम्मीदवार गुरप्रीत के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ने के संबंध में अपने भाई से बात करने की कोशिश करेंगे। चन्नी ने कहा, ”वह टिकट चाहते थे लेकिन पार्टी ने इनकार कर दिया। गुरप्रीत भी हमारे भाई हैं। हम उन्हें बिठाकर बात करेंगे और इसका हल निकल जाएगा।”

कांग्रेस ने 86 उम्मीदवारों की अपनी पहली लिस्ट में बस्सी पठाना (सुरक्षित) सीट से पार्टी विधायक गुरप्रीत सिंह जीपी को टिकट दिया, जिसके बाद मनोहर सिंह की नाराजगी सामने आई। मनोहर सिंह ने कांग्रेस के फैसले को बस्सी पठाना के लोगों के साथ ‘अन्याय’ करार दिया था और आरोप लगाया था कि मौजूदा विधायक ‘अक्षम और अप्रभावी’ हैं।

मनोहर सिंह ने कहा था कि लोगों ने उनसे निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने को कहा है। उन्होंने कहा था कि वापस जाने का कोई सवाल ही नहीं है और वे निश्चित ही चुनाव लड़ेंगे। मनोहर सिंह ने कहा कि बस्सी पठाना सीट से पीछे हटने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के भाई मनोहर सिंह ने पिछले साल अगस्त में खरड़ सिविल अस्पताल से वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी के पद से इस्तीफा दे दिया था।

मनोहर सिंह ने एमबीबीएस और एमडी किया है। उनके पास पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिग्री भी है और उन्होंने कानून की पढ़ाई भी की है। वे उम्मीद कर रहे थे कि कांग्रेस पार्टी बस्सी पठाना से उन्हें टिकट देगी, लेकिन कांग्रेस ने पार्टी विधायक गुरप्रीत सिंह जीपी पर भरोसा जताते हुए उन्हें टिकट दे दिया।