पंजाब में आगामी 14 फरवरी को एक चरण में विधानसभा चुनाव होना है। इस चुनाव कांग्रेस के सत्ता पर काबिज होने के नाते उसपर वापसी करने का दबाव होगा। हालांकि पार्टी की अंदरुनी कलह परेशानी का सबब बनी हुई है। बता दें कि अब मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के भाई मनोहर सिंह चन्नी ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ बगावत का ऐलान कर दिया है।
निर्दलीय लड़ेंगे: दरअसल शनिवार को कांग्रेस ने पंजाब में 86 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की थी। इसमें सीएम चन्नी के छोटे भाई डॉ मनोहर सिंह का नाम नहीं था। ऐसे में उन्होंने घोषणा की है कि वह बस्सी पठाना निर्वाचन क्षेत्र से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर में चुनाव लड़ेंगे। इस बगावत के बाद से खुद सीएम चन्नी पर दबाव होगा।
एक परिवार एक टिकट: गौरतलब है कि कांग्रेस ‘एक परिवार, एक टिकट’ के नियम का हवाला देते हुए मनोहर सिंह का टिकट खारिज कर दिया था। हालांकि गौरतलब है कि बस्सी पठाना पंजाब के पुआध सांस्कृतिक क्षेत्र में पड़ता है। इसे चन्नी परिवार के गढ़ के रूप में माना जाता है। ऐसे में मनोहर सिंह इस क्षेत्र से कांग्रेस का टिकट चाहते थे।
इसके अलावा चन्नी की करीबी मानी जाने वाली निमिषा मेहता ने भी भाजपा का दामन थाम लिया है। बता दें कि गढ़शंकर से उनकी उम्मीदवारी को लेकर चन्नी ने भी समर्थन दिया था। लेकिन अमरप्रीत सिंह लाली को कांग्रेस की तरफ से प्रत्याशी घोषित किये जाने के बाद निमिषा पंजाब प्रदेशाध्यक्ष अश्विनी शर्मा की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गईं है।
उन्होंने कहा कि कोई अक्टूबर महीने में आकर अपना पोस्टर लगाता है, और पार्टी नेतृत्व उसे टिकट दे देती है, काग्रेस पार्टी ने गलत फैसला किया है।
पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले देखा जा रहा है कि कांग्रेस की सबसे बड़ी मुश्किल उसके ही नेता बनते जा रहे हैं। पहले नवजोत सिंह सिद्धू और पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच तकरार भी कांग्रेस को झटके दे चुका है। बाद में कैप्टन ने अपनी नई पार्टी बना ली।