पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में आपसी कलह उसके लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। बता दें कि पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और राज्य के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर रेस लगी हुई है। इस बीच पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा, “कांग्रेस को कोई नहीं हरा सकता, केवल कांग्रेस ही खुद को हरा सकती है।”

सिद्धू के बयानों से साफ है कि अंदरखाने में चल रही है कलह मामूली नहीं है। दरअसल सिद्धू कांग्रेस के भीतर चल रही गुटबाजी और अंदरूनी कलह से जुड़े एक सवाल पर जवाब दिया कि कांग्रेस को उसकी कलह ही पराजय दिला सकती है। बता दें कि पंजाब के माझा, दोआबा और मालवा क्षेत्र में कांग्रेस के ही उम्मीदवार एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं।

माझा: माझा क्षेत्र की 25 सीटों पर देखें तो 2017 में सिद्धू न केवल अमृतसर पूर्व में बल्कि अमृतसर शहर की अन्य सीटों पर भी अपनी पार्टी के पक्ष में बदलाव लाने में कामयाब रहे। इस सीट से वो उम्मीदवार थे। लेकिन अब सिद्धू इस क्षेत्र में कांग्रेस के लिए एकजुटता बनाये रखने वाली ताकत नहीं रह गये हैं। वहीं पिछले चुनाव में माझा क्षेत्र में कांग्रेस ने 22 सीटें प्राप्त की थी।

अमृतसर सेंट्रल से चुनाव लड़ रहे डिप्टी सीएम ओम प्रकाश सोनी और अमृतसर पश्चिम से चुनाव लड़ रहे कैबिनेट मंत्री राजकुमार वेरका के संबंध सिद्धू के साथ ठीक नहीं हैं। हालांकि सिद्धू ने 2017 में उनके लिए सक्रिय रूप से प्रचार किया था। ऐसे तनावपूर्ण रिश्तों के बीच पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

दोआबा: कांग्रेस ने पिछले चुनाव में दोआबा क्षेत्र की 23 सीटों में से 15 सीटें हासिल की थी। लेकिन इस बार पार्टी की हालत कुछ अलग है। कांग्रेस के चार विधायक सुल्तानपुर लोधी के नवतेज सिंह चीमा, जालंधर नॉर्थ के बावा हेनरी, फगवाड़ा के बलविंदर सिंह धालीवाल और भोलाथ के सुखपाल सिंह खैरा ने सोनिया गांधी से संपर्क कर मंत्री गुरजीत राणा का कपूरथला से टिकट रद्द करने की मांग की। लेकिन उनके इस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया गया है।

वहीं नाराज राणा अपने बेटे राणा इंदर प्रताप सिंह को सुल्तानपुर लोधी से नवतेज चीमा के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए कह रहे हैं। पार्टी इस कलह को दूर करने की कोशिश जरूर कर रही है लेकिन विधानसभा चुनाव में अब अधिक दिन नहीं बचे हैं। ऐसे में अगर स्थिति में बदलाव नहीं हुआ तो कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

मालवा: पंजाब की 117 विधानसभा सीटों में से 69 सीटें मालवा में ही हैं। ऐसे में कहा जाता है कि मालवा क्षेत्र में जिस पार्टी ने अपनी बढ़त बना ली, सूबे में उसकी सरकार तय हो जाती है। लेकिन कांग्रेस के लिए इस क्षेत्र में सबसे बड़ी शर्मिंदगी सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के भाई मनोहर सिंह ही बने हुए हैं। उन्होंने बस्सी पठाना में कांग्रेस विधायक गुरप्रीत सिंह जीपी के खिलाफ निर्दलीय के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया है।

वहीं पार्टी के बठिंडा ग्रामीण उम्मीदवार हरविंदर लड्डी को टिकट दिया गया है। बता दें कि लड्डी ने कांग्रेस के ही एक ताकतवर मंत्री के खिलाफ नशीली दवाओं की तस्करी का आरोप लगाया था। इसके लिए उन्होंने चंडीगढ़ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की। इतने गंभीर आरोप लगाने के बावजूद लड्डी को टिकट मिल गया।