सर्वेश कुमार
छत्तीसगढ़ की सियासत में धान फिर सियासी मुद्दा बनेगा। धान की कीमतों से छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में सियासी समीकरण तय होंगे। सरकार तय करने में धान किसानों की अहम भूमिका होगी। धान की अच्छी कीमत देने की घोषणा कर सत्तारूढ़ पार्टी ने किसानों का मत हासिल करने के लिए पासा फेंक दिया है। किसानों की अलग-अलग गुटों में लामबंदी और किसी दल को पूर्ण समर्थन नहीं है। फिर भी किसान संगठनों की मांग है कि पांच साल में धान की कीमत प्रति कुंतल 4000 और बकाया बोनस का भुगतान देने में सक्षम पार्टी को ही समर्थन देंगे।
सब्सिडी की घोषणा
छत्तीसगढ़ में किसान और खेतिहर मजदूरों की आबादी एक करोड़ से अधिक है और धान की खेती पर निर्भर हैं। सरकार ने किसानों को धान पर सब्सिडी देने की घोषणा कर दी है। न्यू रायपुर के नई राजधानी प्रभावी किसान संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष रुपण चंद्राकर ने बताया कि प्रदेश के किसान किसी भी पार्टी के पूर्ण समर्थन में नहीं है।
मौजूदा और पिछली सरकारों ने भी वादा को पूरा नहीं किया। खासतौर पर किसानों के जमीन अधिग्रहण और मुआवजे में विसंगतियां होने से किसानों में नाराजगी है। हाल में कांग्रेस ने प्रति एकड़ 20 कुंतल धान की खरीद और फसल पर मूल्य बढ़ाने की घोषणा की है। किसानों में इस बात को लेकर संशय है कि कहीं यह चुनावी वादा ही बनकर नहीं रह जाए।
बकाया बोनस को लेकर विरोध
संयुक्त किसान मोर्चा, छत्तीसगढ़ समन्वय समिति के सदस्य सुदेश टीकम का कहना है कि धान की कीमत को अगले पांच साल में बढ़ाकर 4000 करने की किसानों की मांग है। मौजूदा प्रदेश सरकार ने कीमतें बढ़ाकर 2800 रुपए प्रति कुंतल करने की घोषणा से किसानों को थोड़ी राहत मिली है। लेकिन नौ साल पहले का बकाया बोनस नहीं मिलने के विरोध में प्रांतीय महापंचायत में दस सूत्री मांग रखी गई है। किसानों को कांग्रेस सरकार से थोड़ी राहत मिल रही है और कुछ संकेत भी मिले हैं, लेकिन धान पर बकाया बोनस नहीं मिलने से केंद्र और प्रदेश सरकार से नाराजगी भी है।
85 फीसद से अधिक क्षेत्र में धान की खेती
छत्तीसगढ़ में धान की हजारों किस्मों के धान का उत्पादन होता है। इनमें कई धान की औषधीय किस्में हैं जिनका बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होता है। प्रदेश में करीब 85 फीसद से अधिक क्षेत्र में धान की खेती होती है।